नई दिल्ली : Supreme Court ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें दिल्ली सरकार (Delhi Government) द्वारा इस संबंध में नीति तय किए जाने तक राष्ट्रीय राजधानी में दोपहिया TAXI का संचालन जारी रखने की अनुमति दी गई थी।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने हाईकोर्ट (High Court) के आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में बाइक टैक्सी एग्रीगेटर रैपिडो (Bike Taxi Aggregator Rapido) को राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाते हुए अंतिम नीति बनने तक संचालन जारी रखने की अनुमति दी थी।
Delhi High Court द्वारा दिल्ली सरकार की अधिसूचना पर पूर्ण रोक अनावश्यक
खंडपीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार Bike Taxi Aggregators को लाइसेंस देने के लिए नीति बना रही है।
इसलिए Delhi High Court द्वारा दिल्ली सरकार की अधिसूचना पर पूर्ण रोक अनावश्यक है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि नीति को अंतिम रूप दिए जाने तक वैधानिक शासन के व्यापक संचालन पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश अनुचित था और हम दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पारित दोनों आदेशों पर रोक लगाते हैं।
सुनवाई के दौरान, उबर का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने तर्क दिया कि उसके सैकड़ों बाइक राइडरों की आजीविका दांव पर है।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जल्द पूरी करने को कहा और पक्षकारों को उच्च न्यायालय के समक्ष शीघ्र सुनवाई की अर्जी दायर करने की स्वतंत्रता भी दी।
लाइसेंसिंग व्यवस्था 31 जुलाई 2023 तक शुरू हो जाएगी
दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने शीर्ष अदालत को बताया कि एग्रीगेटर उचित लाइसेंस (Aggregator Appropriate License) या परमिट (Permit) के बिना दोपहिया वाहनों का संचालन कर रहे थे और उन्हें बिना किसी नीति के टैक्सियों के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। वकील ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि नीति लागू होगी और लाइसेंसिंग व्यवस्था 31 जुलाई 2023 तक शुरू हो जाएगी।
कौल ने जोर देकर कहा कि नीति का मसौदा तैयार करने में सरकार की विफलता के कारण मौजूदा 35,000 बाइक टैक्सी ऑपरेटरों (Bike Taxi Operators) पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए।
2 अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General) संजय जैन ने तर्क दिया कि सरकार के दिशानिर्देश राज्य सरकारों को सुविधा प्रदान करने के लिए जारी किए गए थे ताकि वे एग्रीगेटर्स को लाइसेंस के लिए एक नीति तैयार कर सकें।
शीर्ष अदालत दिल्ली सरकार की 2 अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 26 मई को राज्य सरकार की इस संबंध में जारी सार्वजनिक सूचना पर रोक लगा दी थी और शहर के परिवहन विभाग को राइड-शेयरिंग प्लेटफार्मो पर रोक लगाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
व्यावसायिक परमिट के बिना सड़क पर बाइक टैक्सी चलाने से रोका
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने परिवहन विभाग को एक व्यापक नीति तैयार होने तक रैपिडो और अन्य राइड-शेयरिंग प्लेटफॉर्म के खिलाफ कोई कठोर कदम उठाने से परहेज करने का निर्देश दिया।
इससे पहले फरवरी में ऐप-आधारित एग्रीगेटर्स (App-Based Aggregators) को व्यावसायिक परमिट (Business Permit) के बिना सड़क पर बाइक टैक्सी चलाने से रोका गया था।
परिवहन विभाग द्वारा सार्वजनिक नोटिस में कहा
परिवहन विभाग ने इन प्लेटफार्मो द्वारा प्रदान की जाने वाली बाइक टैक्सी सेवाओं को तत्काल रोकने का आदेश देते हुए चेतावनी दी थी कि किसी भी तरह का उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
परिवहन विभाग द्वारा सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि आदेशों की अवहेलना करने वाली कंपनियों पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा, क्योंकि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए बाइक का उपयोग मोटर वाहन अधिनियम, 1988 का उल्लंघन करता है।