नई दिल्ली: Supreme court को मंगलवार को सूचित किया गया कि बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 में “व्यापक संशोधन” किए गए हैं, जो राज्य में शराब के निर्माण, व्यापार, भंडारण, परिवहन, बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए बनाया गया था।
शीर्ष अदालत कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिसमें अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका भी शामिल है।
बिहार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि एक अप्रैल को संशोधन किया गया है।
कुमार ने पीठ को बताया, “ एक अप्रैल को बिहार निषेध अधिनियम में व्यापक संशोधन किए गए हैं।” पीठ में न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि वह इसे शीर्ष अदालत के सामने रिकॉर्ड में रखेंगे।
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए एक वकील ने पीठ को बताया कि बिहार राज्य ने अभी तक उनकी याचिका पर कोई जवाब दाखिल नहीं किया है।
पीठ ने कहा, “हम इनकार के आधार पर आगे बढ़ेंगे। अंतत: यह संवैधानिक वैधता है, क्या जबाव दाखिल किया जा सकता है।”
न्यायालय ने मामले को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि दोनों पक्ष 18 अप्रैल को या उससे पहले अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के लिए स्वतंत्र हैं।
शीर्ष अदालत ने इस साल फरवरी में इस मामले में दायर एक स्थानांतरण याचिका को यह कहते हुए अनुमति दे दी थी कि चूंकि ऐसा ही मुद्दा यहां विचाराधीन है, इसलिए यह उचित होगा कि पटना उच्च न्यायालय के समक्ष दायर अन्य रिट याचिकाओं को स्थानांतरित कर दिया जाए और उन याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय में लंबित याचिकाओं के साथ सुनवाई की जाए।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि अभी उच्च न्यायालय का रिकॉर्ड नहीं आया है।
पीठ ने कहा, “रजिस्ट्री को ऑनलाइन / ईमेल या विशेष संदेशवाहक के माध्यम से रिकॉर्ड प्राप्त करने की संभावना तलाशने सहित मामलों में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।” न्यायालय ने इसके साथ ही मामले में सुनवाई की अगली तारीख 20 अप्रैल को तय की।