The sword of demotion hangs over many workers : बिहार सरकार के गृह विभाग की ओर से 3 फरवरी 2009 एवं झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग के 19 जुलाई 2009 के द्वारा परिचारित पूर्व के निर्णय को 19 जुलाई 2008 के भूतलक्षी प्रभाव से वापस प्रभावी कर दिया है।
ऐसा परस्पर सहमति और एक स्थानांतरण पॉलिसी के तहत किया गया है। इसके कारण झारखंड आए बिहार के कई कर्मियों पर डिमोशन की तलवार लटकती दिख रही है। इस निर्णय के आधार पर सरकार अब वरीयता की सूची का नए सिरे से निर्धारण करेगी।
इस विषय को लेकर कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के सचिव प्रवीण टोप्पो ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, सभी विभागाध्यक्ष, प्रमंडलीय आयुक्त और महाधिवक्ता कार्यालय को एक पत्र लिखा है।
सरकार के निर्णय के बाद सभी विभागों द्वारा नए सिरे से वरीयता की सूची तय की जाएगी, फिर उस पर आपत्ति मांगी जाएगी। यह निर्णय राज्य पुनर्गठन उच्च स्तरीय समिति की बैठक में वरीयता निर्धारण के बिंदु पर की गई अनुशंसाओं पर विचार करने के बाद लिया गया है।
इस निर्णय से स्थानांतरित हुए सभी कर्मी अपने कोटि-संवर्ग में नियुक्ति व पदोन्नति के वर्ष में कनीयतम हो जाएंगे।