नई दिल्ली: केन्द्रीय स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को श्री रामचंद्र उच्च शिक्षा तथा अनुसंधान संस्थान चेन्नई के विद्यार्थियों को उनके दीक्षांत समारोह के अवसर पर वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया।
इस अवसर डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि डिग्री, प्रमाण पत्र और मेडल प्राप्त करने वालों को बधाई देता हूं।
ये सम्मान उन्हें शैक्षिक उपलब्धियों के कारण मिल रहा है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि इस विश्वविद्यालय का 2020 में सभी विश्वविद्यालयों में 28वां रैंक है, मेडिकल स्कूलों में से 13वां और दंत स्कूलों में से 7वां रैंक है।
इसके निरंतर अकादमिक कार्य प्रदर्शन के कारण विश्वविद्यालय आयोग ने इसे श्रेणी एक विश्वविद्यालय के रूप में मानद विश्वविद्यालय का दर्जा दिया है।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने रामचंद्र मेडिकल कॉलेज को मेडिकल शिक्षा प्रौद्योगिकी में 2009 में नोडल सेंटर बनाया था और रामचंद्र मेडिकल कॉलेज में यह नोडल सेंटर लगभग 58 मेडिकल स्कूलों की फैकल्टी को प्रशिक्षण दे रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान 75 नये मेडिकल कॉलेज की योजना बनाई गई, जिनमें से 14 तमिलनाडु के लिए हैं। पिछले छह वर्ष में एम्स की संख्या 6 से बढ़ाकर 22 किए जाने की योजना पर काम किया गया।
प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को दोहराते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि चिकित्सा पेशेवरों के पास नवाचार और सुधार तथा प्रधानमंत्री के स्वप्न आत्मनिर्भर भारत और मेक-इन-इंडिया को अनुसंधान और विकास पहल के माध्यम से साकार करने की काफी गुंजाइश है।
दीक्षांत समारोह में युवा स्नातकों को प्रोत्साहित करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि चिकित्सा का अध्ययन अपने आप में एक कठिन कार्य है। चिकित्सा का अध्ययन अपने में कठिन कार्य है।
चिकित्सा एक ऐसा पेशा है, जिसमें अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करने में कई वर्षों का समय लगता है।
यद्यपि इस क्षेत्र में आदर और सम्मान प्राप्त करने का कोई मुकाबला नहीं है।
एक अच्छा डॉक्टर जो लोगों का जीवन बचाता है, अक्सर उसे अपने जीवन को भूल जाना पड़ता है।
इस 32वें दीक्षांत समारोह में कुल 1266 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई, जिनमें 17 डॉक्टरेट, 26 सुपरस्पेशलिटी, 509 पोस्ट ग्रेजुएट और 714 अंडर-ग्रेजुएट डिग्री हैं।
इस अवसर पर श्री रामचंद्र उच्च शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के कुलाधिपति वी.आर. वेंकटाचलम और कुलपति डॉ. पी.वी. विजय राघवन मौजूद थे।