There will be a Delay in the Arrival of Engine for Mark 1A: स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस के उन्नत संस्करण मार्क 1A (Tejas Mark 1A) की प्रचंड हवाई गर्जना से दुश्मनों के थरथर कांपने का भारत का सपना फिलहाल जल्द पूरा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है।
क्योंकि इसके लिए F404-IN20 इंजन की सप्लाई करने वाली अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) अपनी तय समय सीमा से दो साल पीछे चल रही है।
इससे बुरी तरह से नाराज भारत ने कंपनी को सबक सिखाने के लिए उस पर जुर्माना लगा दिया है। रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठानों के सूत्रों ने बताया कि पहले जीई को पिछले साल अप्रैल महीने में वायुसेना के जंगी बेड़े को मजबूती प्रदान करने के लिए बनाए जा रहे तेजस विमानों के लिए इंजन की सप्लाई करनी थी। लेकिन अब उसकी तरफ से इसके लिए 2025 के मध्य का समय तय गया है।
2021 में हुआ था समझौता
यहां बता दें कि वर्ष 2021 में रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 83 तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए कुल करीब 48 हजार करोड़ रुपए का एक समझौता किया था। इसके बाद इंजन के लिए अमेरिकी कंपनी GE से अनुबंध किया गया।
जानकारों का कहना है कि तेजी से बढ़ती सीमाई सुरक्षा चुनौतियों के बीच वायुसेना पहले से ही युद्धक विमानों की कुल 42 स्क्वाड्रन की तुलना में 32 स्क्वाड्रन से काम चला रही है। अगर जीई की तरफ से जल्द तेजस के लिए इंजन की आपूर्ति शुरू नहीं की जाती है तो भारत की तरफ से यह समझौता रद्द भी किया जा सकता है।
PM, रक्षा मंत्री ने मुद्दे को उठाया
सूत्रों ने कहा कि इस मामले को बीते समय में PM मोदी और रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने अपनी अमेरिका की यात्रा के दौरान बाइडन प्रशासन के समक्ष उठाया था। 2023 की समय सीमा से चूकने के बाद अमेरिका की कंपनी ने तेजस के लिए भारत को इस वर्ष अप्रैल तक इंजन सौंपने का वादा किया था।
लेकिन वो अपनी इस समय सीमा को भी पूरा नहीं कर पाई। जीई के साथ किए गए समझौते में जुर्माने के प्रावधान पर सूत्र ने बताया कि समझौते में शामिल सभी बाध्यताएं पूरी की जाएंगी। इसमें सभी क्लॉज शामिल हैं। इसे लेकर फिलहाल जुर्माने की कुल राशि के बारे में बताना मुश्किल है।
लेकिन इसमें समझौते और इंजन की आवक की मूल समय सीमा के साथ कंपनी पर एक बार से अधिक जुर्माना लगाया गया है। इन सबके बीच अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की तरफ से भारत को जीई इंजन की सप्लाई पुन: तीव्र गति से शुरू होने को लेकर आश्वासन दिया गया है।
अमेरिका का कोई दबाव नहीं
सूत्रों ने बताया कि इंजन की भारत को डिलीवरी में हो रही देरी के पीछे भारत की रूस के साथ बनी हुई मजबूत दोस्ती की वजह से अमेरिका का किसी तरह का कोई दबाव नहीं है। यह पूरी तरह से कंपनी की विफलता है कि उसने सही समय पर तेजस विमानों के लिए इंजन नहीं दिए।
GE की इंजन के कुछ पार्ट्स के लिए दक्षिण कोरिया की एक कंपनी पर निर्भरता है। कुछ वित्तीय कारणों की वजह से पार्ट्स नहीं मिल पा रहे हैं।
सप्लाई चेन में भी दिक्कत है। भारत ने हालांकि जनरल इलेक्ट्रिक को कहा है कि वो इसके संबंध में ‘तकनीक का हस्तांतरण’ (TOT) करे, हम यहां देश में उत्पादन करेंगे। उधर, एचएएल लगभग अगले साल तक 5 से 6 विमान तैयार कर सकता है। जबकि उसकी क्षमता सालाना दो दर्जन विमानों की है। इंजन की कमी की वजह से उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
विमान का बेहद अहम भाग है इंजन
HAL द्वारा वायुसेना को अब तक एक भी विमान न सौंपने पर सूत्र ने कहा कि विमान को जरूरी कलपुर्जे चाहिए। लेकिन विदेशी कंपनी ने इंजन की सप्लाई में देरी की है। जबकि दूसरी ओर इजरायल के युद्ध में जाने की वजह से रडार को विमान का हिस्सा नहीं बनाया जा सका। तेजस विमान का परीक्षण जारी है। इसके पूरा होने के बाद इसकी वायुसेना को डिलीवरी की जाएगी।
तेजस मार्क1A श्रेणी के पहले विमान एल-5033 ने इस साल के मध्य में अपनी पहली उड़ान भरी थी। लेकिन इसमें नए इंजन की जगह पर B श्रेणी के इंजन को लगाया गया था। एचएएल ने महाराष्ट्र के नासिक में Tejas Mark 1A aircraft के उत्पादन के लिए नए कारखाने ( प्रोडक्शन लाइन) की शुरुआत की है। कंपनी की पहले से ही बेंगलुरु में एक फैक्ट्री है। जिससे सालाना आधार पर करीब 16 विमानों का उत्पादन किया जाता है। लेकिन अब नासिक की सुविधा से यह आंकड़ा दो दर्जन पर पहुंच जाएगा।