गंगानगर: पांच राज्यों के विधानसभा के साथ होने वाले राजस्थान के उपचुनाव भी कांग्रेस के लिए काफी अहम हैं।
पार्टी कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के बीच चार सीट पर होने वाले उपचुनाव में जीत दर्ज करने की तैयारी कर रही है।
पार्टी को उपचुनाव में किसान आंदोलन का राजनीतिक फायदा मिलने की उम्मीद है, पर उपचुनाव में गुर्जर और मुस्लिम समाज की उदासीनता कांग्रेस का चुनावी गणित बिगाड़ सकती है।
राजस्थान में सुजानगढ़, वल्लभनगर, सहाड़ा और राजसमंद सीट पर उपचुनाव होने हैं।
वर्ष 2018 के चुनाव में राजसमंद सीट से भाजपा ने जीत दर्ज की थी, जबकि बाकी तीनों सीट कांग्रेस के खाते में गई थी।
ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने कांग्रेस की तीनों सीट बरकरार रखते हुए राजसमंद सीट पर जीत दर्ज करनी होगी। इसलिए, पार्टी ने चारों सीट पर चुनाव प्रचार शुरू करते हुए जातीय गणित बनाने में जुट गई है।
सुजानगढ़ कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद चुनाव तैयारियों और प्रचार पर नजर रख रहे हैं।
इसकी एक वजह यह भी है कि वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस को परंपरागत मतों के अलावा गुर्जर समाज के वोट मिले थे। ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि सचिन पायलट लगातार लोगों से संपर्क कर पार्टी को जिताने की अपील कर रहे हैं।
चार सीट पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता मुस्लिम मतदाताओं की उदासीनता है।
मुस्लिम मतदाता गहलोत सरकार के चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा नहीं करने से नाराज हैं।
प्रदेश सरकार ने ऊर्दू शिक्षक और मदरसा पैरा टीचर का वादा नहीं निभाया है।
वहीं, एआईएमआईएम को लेकर भी लोगों का रुझान बढ़ा है।
असदुद्दीन ओवैसी खुद चुनाव लड़ते हैं या समर्थन करते हैं, तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती है।