रांची: रांची विश्वविद्यालय (Ranchi University) का बुधवार को तीन सदस्यीय डॉ. डीके कामले, डॉ. नीलेश पांडेय और डॉ श्रीकांत स्वामी नैक टीम (NAAC Team) ने दौरा किया।
इस दौरे में नैक के बारे में प्रश्नों का समाधान किया गया। IQAC समन्वयक डॉ स्मृति सिंह (Dr Smriti Singh) ने एक स्लाइड शो के माध्यम से रांची विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद की उपलब्धियों को प्रस्तुत किया।
साथ ही रांची विश्वविद्यालय, इसके कॉलेजों में चलाए जा रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर (National and International Level) पर खेलों में आरयू के छात्रों के योगदान पर चर्चा की।
डॉ. नीलेश पांडेय ने कहा…
इस दौरन कुलपति प्रोफेसर अजीत कुमार सिन्हा (Ajit Kumar Sinha) ने कहा कि नैक का दौरा रांची विश्वविद्यालय के लिए सौभाग्य की बात है। नैक के सभी विशेषज्ञों को सुनने के बाद प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया।
ऑडिटोरियम (Auditorium) में उपस्थित विभिन्न कॉलेजों के प्रमुखों, डीन और प्रोफेसरों ने अपने सवाल पूछे, जिनका तीनों सदस्यों ने जवाब दिया। कार्यक्रम में कुलसचिव डॉ. मुकुंद चन्द्र मेहता, परीक्षा नियंत्रक डॉ. आशा कुमार झा, डॉ. जीएस झा, सभी विभागों के हेड, डीन, शिक्षक और प्राचार्य शामिल हुए।
नैक के सलाहकार डॉ. नीलेश पांडेय (Dr. Nilesh Pandey) ने कहा कि रांची विश्वविद्यालय झारखंड का हीरा है। हम सभी विश्वविद्यालयों में उत्कृष्टता के लिए जो कुछ भी देखते हैं, हमें वह सब रांची विश्वविद्यालय में दिखता है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों को उचित ग्रेडिंग के लिए सभी आवश्यक मानदंडों के अनुसार तैयारी करने की सलाह दी।
नैक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. कांबले ने कहा…
नैक के एकडेमिक विशेषज्ञ डॉ. श्रीकांत स्वामी (Dr. Srikant Swamy) ने रिपोर्ट तैयार करने से लेकर नैक में जमा करने तक की तमाम तकनीकी विधियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इनमें गलतियों के कारण अच्छा विश्वविद्यालय या कॉलेज भी पिछड़ जाता है। साथ ही सलाह दी कि आपको सभी दस्तावेज और सहायक दस्तावेज ठीक से तैयार करने चाहिए।
नैक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. कांबले (Dr. Kamble) ने कहा कि मैं अपने अनुभवों के आधार पर कह सकता हूं कि रांची विश्वविद्यालय एक उत्कृष्ट विश्वविद्यालय बनने की राह पर है।
उन्होंने कहा कि आपको नैक में केवल अच्छे ग्रेड के लिए ही काम नहीं करना चाहिए, बल्कि अपनी कमियों को पहचानने और उन्हें सुधारने के साथ-साथ अपने विश्वविद्यालय को ऊंचे स्थानों पर ले जाने का भी लक्ष्य रखना चाहिए।