Delhi High Court: POCSO एक्ट की धारा 3 (c) में कहा गया है कि अगर कोई बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से से छेड़छाड़ करता है यानी योनि, मूत्रमार्ग, गुदा या शरीर के किसी अन्य हिस्से में पेनिट्रेशन करता है तो ये ‘पेनिट्रेटिव यौन हमला’ (‘Penetrative sexual assault’) माना जाएगा। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सामान्य तरीक से छूना POCSO एक्ट के तहत पेनिट्रेटिव यौन हमला नहीं है।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
“स्पर्श करने को पेनिट्रेटिव यौन हमला नहीं माना जा सकता। POCSO एक्ट की धारा 7 के तहत, ‘स्पर्श’ एक अलग अपराध है।”
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
जस्टिस बंसल (Justice Bansal) ने कहा कि POCSO अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी के खिलाफ सभी उचित संदेह से परे अपराध साबित नहीं हुआ। साथ ही गंभीर यौन उत्पीड़न का अपराध सभी उचित संदेह से परे उसके खिलाफ साबित हुआ था।
हाईकोर्ट ने कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत किसी कृत्य को पेनिट्रेटिव यौन हमला मानने के लिए, आरोपी को बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से में हेरफेर करना होगा ताकि प्रवेश हो सके।
वर्तमान मामले में ये दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि पीड़िता के शरीर के किसी भी हिस्से पर कोई हेरफेर किया गया था ताकि प्रवेश किया जा सके। आरोपी धारा 10 के तहत दोषी है न कि धारा 6 के तहत।
इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को POCSO अधिनियम की धारा 10 के तहत अपराध के लिए पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए 5,000 रुपये के जुर्माने को बरकरार रखा।
दर्ज किए गए अपने बयान में, पीड़िता ने लगातार कहा है कि अपीलकर्ता ने उसके कपड़ों के माध्यम से अपनी उंगली से उसके गुदा क्षेत्र को छुआ। हालांकि, CRPC की धारा 164 के तहत अपने बयान में, उसने कहा है कि अपीलकर्ता ने अपनी पूरी उंगली उसके गुदा क्षेत्र के अंदर डाली थी।
ये देखते हुए कि अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन करने के लिए कोई स्वतंत्र गवाह या कोई मेडिकल सबूत नहीं था, अदालत ने कहा कि हालांकि बिना किसी स्वतंत्र पुष्टि के केवल पीड़िता की गवाही के आधार पर ही दोषसिद्धि की जा सकती है, हालांकि, ऐसे मामले में, उसकी गवाही स्टर्लिंग गुणवत्ता का होना चाहिए।
पूरा मामला क्या है?
आरोप है कि आरोपी का भाई शिक्षक है। उससे ट्यूशन पढ़ने आई छह साल की बच्ची का आरोपी ने प्राइवेट पार्ट (Private Part) छुआ था। इस मामले में ट्रायल कोर्ट (Trial Court) ने उसे दोषी ठहराया था।
अदालत ने छह साल की बच्ची से बलात्कार के मामले में अपनी दोषसिद्धि और 10 साल की सजा को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की।
उसे 2020 में IPC की धारा 376 (Rape) और POCSO अधिनियम, 2012 की धारा 6 (गंभीर प्रवेशन यौन उत्पीड़न) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था।