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झारखंड

बॉर्डर पर दिखेगी परंपरागत होली, ढोल की थाप पर गाते बजाते पहुंच रहे किसान

गाजीपुर बॉर्डर: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। अब त्योहारों की तैयारियां भी बॉर्डर पर दिखने लगी हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर होली के गीत गाते हुए बुलंदशहर से किसान पहुंचे हुए हैं।

हाल ही में भारतीय किसान यूनियन द्वारा आयोजित मासिक पंचायत के बाद से ही होली के गीतों का सिलसिला लगातार जारी है।

आगामी होली त्योहार के कारण आंदोलन स्थल पर ढोल की थाप और होली के मौके पर गाए जाने वाले लोकगीत आपको सुनने को मिलेंगे।

बुलंदशहर के भटौना गांव से दर्जनों ट्रैक्टरों में सवार होकर किसान आंदोलन स्थल पर पहुंचे और इस दौरान उन्होंने जमकर गाना बजाना किया। ढोल की थाप पर किसान होली के लोकगीत गा-गाकर झूमते देखे गए।

बुलंदशहर से बॉर्डर पहुंचे एक किसान ने कहा कि देशभर में होली मनाई जाती है लेकिन बुलंदशहर की होली देशभर में प्रसिद्ध है। यहां करीब 700 वर्ष प्राचीन अंदाज में होली मनाई जाती है।

दरअसल इस होली में मंत्रोच्चारण के साथ ढोल की थाप सुनने को मिलती है।

किसानों का मानना है कि इस तरह से हर तरह की बुरी शक्तियां दूर चली जाती हैं। गांव में महीने भर पहले से ही इस त्योहार को मनाना शुरू कर दिया जाता है।

 यही कारण है कि किसान गांव छोड़ बॉर्डर पहुंच रहे हैं ताकि होली मनाई जाए। वहीं आंदोलन स्थल पर बैठे किसान पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि इस बार होली बॉर्डर पर मनाई जाएगी।

हालांकि आंदोलन के दौरान कई किसानों की मौत हो चुकी है, इसलिए इस पर भी विचार किया जा रहा है कि इस बार रंगों की जगह मिट्टी से ही होली मनाई जाय और इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि किसी तरह का कोई हुड़दंग नहीं होगा।

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