होम्योपैथी में भी किडनी और फेफड़ों का प्रभावी इलाज होता है। होम्योपैथी में किडनी रोग के लिए बहुत सारी दवाएं हैं, जो रोगी के शारीरिक और मानसिक लक्षण देख कर दी जाती हैं।
किडनी रोग एक गंभीर रोग है, जिसमें सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती है। किडनी की बीमारी में डायलिसिस से पहले होम्योपथी से भी उपचार संभव है।
किडनी की बीमारी से बचने के लिए नियमित रूप से पानी पीने और खानपान पर ध्यान देने की जरूरत होती है।
किडनी के अलावा फेफड़ों की बीमारी का भी होम्थोपथी में बेहतर इलाज उपलब्ध है।
विशेषज्ञों ने क्लासिकल होम्योपैथी से फेफड़े और गुर्दों की विभिन्न बीमारियों के इलाज के बारे में बताया।
साथ ही कहा कि होम्योपैथी विभिन्न हृदय रोगों में भी कारगर है। होम्थोपथी सुरक्षित और प्राकृतिक है।
इसमें किसी प्रकार की लत की भी कोई संभावना नहीं है। हृदय रोगों की रोकथाम और दिल के दौरे के बाद रोगियों का प्रबंधन करने में भी होम्थोपथी कारगर है।
साथ ही होम्योपथी की दवाएं दिल के दौरे के विभिन्न कारणों जैसे कलेस्ट्रॉल में वृद्धि और उच्च रक्तचाप को रोकती है।
वहीं यदि कोई मरीज ऐलोपैथिक दवाएं लेने के साथ होम्योपथी का उपचार कर रहा है तो इस बारे में डॉक्टरों को जरूर बताना चाहिए।
चिकित्सक की सलाह के बिना ऐलोपैथिक दवाएं लेना बंद न करें। न ही होम्योपथी की दवाएं साथ में लें।
मेजर हार्ट अटैक में होम्योपथी की दवाएं कारगर नहीं हैं। यदि दिल का दौरा पड़ चुका है तो ऐलोपैथिक दवाओं के साथ इलाज करना चाहिए।