नई दिल्ली: जनजातीय कार्य मंत्रालय के द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया(ट्राइफेड) ने देश के 15 सौ गांवों को अगले सौ दिनों के भीतर एक खास प्लान के तहत कवर करने की योजना बनाई है।
इसके तहत गांवों में वन धन विकास केंद्रों को सक्रिय बनाया जाएगा। जिससे आदिवासी परिवारों को उनकी वन उपज का सही मूल्य मिल सके।
दरअसल, वर्ष 2021 की शुरुआत में ट्राइफेड के देश भर के क्षेत्रीय अधिकारियों ने उल्लेखनीय जनजातीय आबादी वाले चिन्हित गांव का दौरा किया तथा विभिन्न कार्यक्रमों और पहलों के कार्यान्वयन का पर्यवेक्षण किया।
जनजातीय मामले मंत्रालय के तहत ट्राइफेड ने अब संकल्प से सिद्धि- गांव एवं डिजिटल कनेक्ट मुहिम लॉन्च की है।
एक अप्रैल से शुरू 100 दिनों की इस मुहिम से कुल 150 टीमें जुड़ेंगी। प्रत्येक टीम 10 गांवों का दौरा करेंगी।
ट्राइफेड ने जनजातीय वर्गो की सहायता के लिए कई कोशिशें की हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के जरिए गौण वन ऊपज (एमएफपी) की मार्केटिंग के लिए तंत्र उपलब्ध कराया है।
जनजातीय समूहों और क्लस्टरों की स्कीम को देशभर में व्यापक स्वीकार्यता प्राप्त हुई है।
विशेष रुप से, 2020 में महामारी के दौरान यह स्कीम जनजातीयों के लिए रामबाण साबित हुई है। ट्राइफेड की कोशिशों के कारण जनजातीय परिवारों को बिचौलियों के शोषण से भी निजात मिल रही है।