रांची: Sarhul पर आदिवासी धर्मगुरु जगलाल पाहन (Jaglal Pahan) ने शुक्रवार को परंपरा के अनुसार सुबह में पूजा-अर्चना (Worship) की और मिट्टी के घड़े में रखे पानी का सुबह में मुआयना (Inspection) करने के बाद इस वर्ष मानसून (Monsoon) की सामान्य बारिश की भविष्यवाणी की।
सुबह खेत एवं जलाशयों में जाकर केकड़ा एवं मछली पकड़ते
पाहन ने बताया कि सरहुल पर्व (Sarhul Festival) में तीन दिन का आयोजन (Events) होता है, जिसमें पहले दिन जनजातीय समाज के लोग उपवास रखते हैं। सुबह खेत एवं जलाशयों (Reservoirs) में जाकर केकड़ा एवं मछली पकड़ते हैं।
पूजा के बाद रसोई में उसे सुरक्षित रख देते हैं। ऐसी मान्यता है कि फसल बोने के समय केकड़ा को गोबर पानी (Cow Dung Water) से धोया जाता है। इसके बाद उसी गोबर पानी से फसलों के बीज को भीगा कर खेतों में डाला जाता है।
केकड़े ने मिट्टी बनाई और धरती वर्तमान स्वरूप में आया
जगलाल पहान ने बताया कि पूर्वजों (Ancestors) की ऐसी मान्यता है कि केकड़ा के 8-10 पैरों की तरह फसल में भी ढेर सारी जड़े निकलेंगी और बालियां (Earrings) भी खूब होंगी। अच्छी फसल होगी। उन्होंने बताया कि पहले धरती पर पानी ही पानी था।
केकड़े ने मिट्टी बनाई और धरती वर्तमान स्वरूप में आया। उन्होंने कहा कि कितना भी अकाल पड़ जाएं, जहां केकड़ा होगा वहां संकेत है कि पानी जरूर होगा।