उदयपुर: Udaipur-Nathdwara (उदयपुर-नाथद्वारा) राष्ट्रीय राजमार्ग पर चीरवा टनल के पास पहाड़ी पर 3.5 एकड़ भूमि में इस्कॉन मंदिर (Udaipur Iskcon Temple) बनाया जाएगा।
उदयपुर में बनने वाले इस इस्कॉन मंदिर की लागत 35 करोड़ रुपये होगी। इस्कॉन परिसर में श्रीश्री राधा गिरधारी मन्दिर (Sri Sri Radha Girdhari Temple) के लिए शिलान्यास 7 दिसम्बर को किया जाएगा।
इस्कॉन मंदिर के परियोजना निदेशक आचार्य मदन गोविन्द दास (Acharya Madan Govind Das) ने सोमवार को यहां प्रेस वार्ता में बताया कि उदयपुर के चीरवा स्थित मोहनपुरा गांव में प्रतिष्ठित सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक केंद्र इस्कॉन सेन्टर ऑफ वैदिक एजुकेशन एंड योगा ‘कोवे’ स्थापित करने जा रहा है।
काश्तकारों को खेती के तरीकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने का अवसर भी मिलेगा
मन्दिर उदयपुरवासियो के साथ ही देश एवं विदेश के लोगों को आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक प्रेरणा के लिए आकर्षित करेगा। एकलिंगजी एवं नाथद्वारा से भी यह स्थान निकट है
यहां राजस्थान के काश्तकारों व बालकों को अपनी पारम्परिक कला तथा स्वदेशी खेती के तरीकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने का अवसर भी मिलेगा।
उन्होंने बताया कि इस मन्दिर परिसर में आश्रम, वैदिक शिक्षण संस्थान, सम्पूर्ण सुविधा युक्त सभागार, उद्यान, गोवर्धन परिक्रमा, यमुना महारानी एवं युवा छात्रावास भी बनाये जाने की योजना है।
साथ ही गोविंदा शाकाहारी रेस्टोरेंट (Govinda Vegetarian Restaurant) का भी निर्माण किया जाएगा और भविष्य में गुरुकुल एवं गौशाला के निर्माण की योजना है। इस परियोजना का कार्यभार संस्था ने विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी एवं जिम्मेदार भक्तों के सुपुर्द किया है।
एडवाजरी कमेटी के अध्यक्ष रवि बर्मन, उपाध्यक्ष सुतीन्द्र कुमार महाजन, राकेश माहेश्वरी, प्रदीप गुप्ता सहित कई लोग स्वेच्छा से सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
यह परिसर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति स्वतः करेगा
उदयपुर के आर्किटेक्ट सुनील लढ्ढा ने खूबसूरत वृंदावन थीम (Vrindavan Theme) पर इस मंदिर का Design तैयार किया है। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट 4-5 वर्ष में तैयार करने का लक्ष्य है जिसकी अनुमानित लागत 30-35 करोड़ होगी।
इस्कॉन उदयपुर 2015 में प्रारम्भ हुआ था। वर्तमान में इस्कॉन का केंद्र आयड़ में गंगू कुण्ड के पास है। उन्होंने बताया कि इस परिसर की बिजली और पानी की जरूरतों को इसी परिसर में पूरा किए जाने की योजना बनाई गई है।
यह परिसर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति स्वतः करेगा। सबसे महत्वपूर्ण ध्यान वैल्यू इंजीनियरिंग (Value Engineering) पर दिया जा रहा है ताकि लागत को कम किया जा सके।