नई दिल्ली: कोविड 19 महामारी के कारण, दिसंबर-2020 यूजीसी नेट का संचालन हो सका। नतीजतन, यूजीसी-नेट दिसंबर 2020 और जून 2021 की परीक्षा एनटीए एक साथ आयोजित की गई।
यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने कहा कि एक-दो दिन में यूजीसी-नेट का परिणाम घोषित करें।
यूजीसी एनटीए के साथ मिलकर इसके लिए काम कर रहा है और इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
इस वर्ष यूूजीसी-नेट परीक्षा 81 विषयों में आयोजित की गई थी। देश भर के 239 शहरों में फैले 837 केंद्रों में यह परीक्षा ली गई थी। यूजीसी-नेट के लिए 12 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया था। फिलहाल परीक्षा परिणामों को जारी करने की प्रक्रिया चल रही है।
एक साल की लंबी देरी के बाद यूजीसी नेट की परीक्षाएं हो गई हैं। देशभर में करीब 12 लाख युवा बीते 1 वर्ष से यूजीसी नेट परीक्षा का इंतजार कर रहे थे।
इनमें से अधिकांश अभ्यार्थी ऐसे हैं जिन्होंने बीते वर्ष 2020 दिसंबर में यूजीसी नेट के लिए आवेदन किया था।
वर्ष 2020 में 8,60,976 अभ्यार्थियों ने यूजीसी नेट परीक्षा के लिए आवेदन किया था। जानी-मानी शिक्षाविद व दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर आभा देव हबीब के मुताबिक यूजीसी नेट की परीक्षाओं में देरी का सीधा असर देश के शोध कार्यक्रमों पर पड़ता है।
रिसर्च के छात्रों को इस देरी के कारण फैलोशिप नहीं मिल पाती। जिससे कई छात्रों का नुकसान हुआ है।
गौरतलब है कि यूजीसी नेट के जरिए से सहायक प्रोफेसर के साथ साथ जूनियर रिसर्च फैलोशिप के लिए उम्मीदवारों का चयन किया जाता है।
यह परीक्षा साल में दो बार ली जानी थी, लेकिन कोरोना के कारण ऐसा नहीं हो सका। इस विलंब से सहायक प्रोफेसर बनने की इच्छा रखने वाले युवाओं के साथ-साथ महत्वपूर्ण रिसर्च कार्यों से जोड़ने वाले युवाओं का भी बड़ा नुकसान हुआ है।
हालांकि यूजीसी एवं केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि पहले कोरोना संक्रमण की तेज लहर और फिर विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं से के साथ यूजीसी नेट की तारीखों के टकराव के कारण यह परीक्षाएं देरी से ली गईं।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने दिसंबर 2020 और जून 2021 की यूजीसी-नेट को मर्ज कर दिया था।