मुंबई: दुनिया के सबसे बड़े सूरजमुखी उत्पादक देश यूक्रेन में चल रहे युद्ध के चलते अगले वित्त वर्ष में भारत में कच्चे सूरजमुखी तेल की आपूर्ति में कम से कम 25 प्रतिशत अथवा चार से छह लाख टन की कमी आने की आशंका है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
भारत में लगभग 70 प्रतिशत कच्चा सूरजमुखी तेल यूक्रेन से और लगभग 20 प्रतिशत रूस से आता है।
साख निर्धारक एजेंसी क्रिसिल ने बृहस्पतिवार कहा कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बावजूद घरेलू खाद्य तेल प्रसंस्करणकर्ताओं की बैलेंस शीट आपूर्ति व्यवधान को झेलने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत है, लेकिन घरेलू खाद्य तेल प्रसंस्करणकर्ताओं की उत्पादन योजना पर इसका असर पड़ेगा।
देश में सालाना 230-240 लाख टन खाद्य तेलों की खपत में रिफाइंड सूरजमुखी तेल का हिस्सा 10 प्रतिशत है। इस तेल की लगभग 60 प्रतिशत मांग को आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है।
देश की 22-23 लाख टन की वार्षिक कच्चे सूरजमुखी तेल की आवश्यकता का 90 प्रतिशत यूक्रेन (70 प्रतिशत), रूस (20 प्रतिशत) और शेष अर्जेंटीना और अन्य देशों से आता है।
क्रिसिल ने कहा, ‘‘रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण आपूर्ति बाधित होने से अगले वित्तवर्ष में भारत के लिए कम से कम 4-6 लाख टन कच्चे सूरजमुखी तेल की आपूर्ति में कमी आ सकती है।’’
क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में कहा कि कुल मिलाकर, यूक्रेन और रूस सालाना 100 लाख टन कच्चे सूरजमुखी के तेल का निर्यात करते हैं, जबकि अर्जेंटीना सात लाख टन के साथ तीसरे स्थान पर है।