नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा के आरोपित उमर खालिद ने अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में कहा कि उस पर लगे आरोप कल्पना पर आधारित हैं और चार्जशीट लिखने वाला स्क्रिप्ट राइटर है।
मामले की अगली सुनवाई अब आठ नवंबर को होगी। सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पायस ने कहा कि उमर खालिद की न तो घटनास्थल पर मौजूदगी थी और न ही हिंसा में कोई भूमिका।
उन्होंने कहा कि यूएपीए में सबसे मजबूत केस वताली का माना जाता है। उस केस में तय मापदंड के मुताबिक उमर खालिद को जमानत मिलनी चाहिए।
पायस ने पहले पूरक चार्जशीट का हवाला देते हुए कहा कि उमर खालिद के खिलाफ आरोप है कि उसने 10 दिसंबर 2019 को जंतर-मंतर पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में हिस्सा लिया था।
प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर यूएपीए लगाना मेरी समझ के बाहर की बात है। उन्होंने कहा कि पुलिस की चार्जशीट में केवल इस बात की आशंका जताई गई है कि उमर खालिद ने जामिया में बैठक की थी।
ये आशंका एक पुलिस अधिकारी की है। ये केवल कल्पना पर आधारित है। जिसने चार्जशीट लिखा है वो स्क्रिप्ट राइटर है। पायस ने कहा कि उमर खालिद के खिलाफ दायर चार्जशीट में कई विरोधाभास हैं।
उमर खालिद पर दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि उसने व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाया। आरोप है कुणाल फातिमा ने व्हाट्स ऐप शुरू किया। ऐसे में जब उसे आरोपित नहीं बनाया गया है तो उमर खालिद को क्यों आरोपित बनाया गया है।
तब कोर्ट ने स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद से पूछा कि क्या आप इसी ग्रुप के बारे में बात रहे हैं। अमित प्रसाद ने कहा कि जो भी आरोपित की ओर से कहा जा रहा है, वह केवल कल्पना है। इस पर पायस ने कहा कि ये कल्पना नहीं है, ये चार्जशीट की बातें हैं। पायस ने कहा कि दिल्ली पुलिस ये बताए कि जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी का ग्रुप उमर खालिद ने कैसे बनाया।
पायस ने कहा कि उमर खालिद के खिलाफ लगे आरोपों के साक्ष्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि क्या चक्का जाम करना आतंकवाद है। ये विरोध का जाना-माना तरीका है जिसे छात्रों, किसानों और राजस्थान के गुर्जरों ने अपनाया।
छह सितंबर को उमर खालिद ने पहले से दायर अपनी जमानत याचिका को वापस लेते हुए नयी जमानत याचिका दायर की थी। उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पायस ने कहा था कि उन्होंने पहले जो जमानत याचिका दायर की थी, वो अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के तहत दायर की गई थी।
दिल्ली पुलिस की ओर से इस याचिका को सुनवाई योग्य नहीं मानने पर पायस ने धारा 439 के तहत दायर जमानत याचिका वापस ले ली और अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437 के तहत नई याचिका दायर की। कोर्ट ने धारा 437 के तहत दायर नई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया।
ज्ञातव्य है कि क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने, और देशविरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओ के तहत चार्जशीट दाखिल किया था। करीब 100 पेजों की चार्जशीट में कहा गया है कि 08 जनवरी, 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी औऱ ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगो की योजना बनाने के लिए मीटिंग की।
इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए। इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है।
चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया ,उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे।
उमर खालिद को 13 सितंबर, 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था। फिर 17 सितंबर, 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल करीब 18 हजार पन्नों का चार्जशीट लेकर दो बक्सों में पहुंची थी।