Underworld Don Bablu Srivastava: अंडरवर्ल्ड डॉन बबलू श्रीवास्तव (Don Bablu Srivastava) असली नाम ओम प्रकाश श्रीवास्तव की सोमवार को प्रयागराज कोर्ट में पेशी के लिए उसे भारी सुरक्षा के साथ बरेली से प्रयागराज ले जाया जा रहा है।
इसमें पुलिस की चार गाड़ियां हैं। इस टीम को डिप्टी एसपी रैंक (Deputy SP Rank) का अधिकारी लीड कर रहा है। बबलू श्रीवास्तव मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले का रहने वाला है। उसके पिता विश्वनाथ प्रताप श्रीवास्तव GTI में प्रिंसिपल थे। बबलू का बड़ा भाई विकास श्रीवास्तव आर्मी में कर्नल है।
क्यों बबलू बना डॉन
बबलू ने एक बार पेशी के दौरान खुद मीडिया के सामने खुलासा किया था कि वो अपने भाई की तरह सेना में अफसर बनना चाहता था। उसे IAS अधिकारी बनने की भी ललक थी। मगर, उसकी जिंदगी को कॉलेज की एक छोटी सी घटना ने पूरी तरह बदल दिया और वो कुछ और ही बन गया।
क्यों हुई बबलू को दोबारा जेल
बबलू श्रीवास्तव कुछ दिन बाद जमानत पर छूटकर बाहर आ गया। लेकिन अन्ना का गिरोह उस पर नजर लगाए बैठा था। पुलिस ने कुछ दिन बाद फिर से उसे अन्ना के कहने पर स्कूटर चोरी (Scooter theft) के झूठे आरोप में बबलू को जेल भेज दिया। इस घटना से नाराज घरवालों ने उसकी जमानत भी नहीं कराई।
इसके बाद बबलू को दो हफ्ते जेल में रहना पड़ा। उसके बाद वाहन चोरी की की वारदातों में बबलू का नाम आ गया। इस बात परेशान होकर बबलू ने अपना घर छोड़ दिया। उसने एक हॉस्टल में रहने के लिए कमरा ले लिया।
इसी दौरान वह अन्ना के विरोधी माफिया रामगोपाल मिश्र (Anti Mafia Ramgopal Mishra) के सम्पर्क में आ गया और उसके लिए काम करने लगा। यही वो वक्त था जब बबलू ने अपराधी की दुनिया में कदम रख दिया था। अब वह पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहता था।
बबलू के खिलाफ पहला मुकदमा
बबलू श्रीवास्तव की जिंदगी में सबकुछ ठीक चल रहा था। वो लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) में लॉ का छात्र था। 1982 में वहां छात्रसंघ चुनाव हो रहे थे। बबलू का साथी नीरज जैन चुनाव में महामंत्री पद का उम्मीदवार था। प्रचार जोरों पर था। छात्र नेता एक दूसरे को हराने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे।
इसी दौरान दो छात्र गुटों में चुनावी झगड़ा हुआ। जिसमें किसी ने एक छात्र को चाकू मार दिया। घायल छात्र का संबंध लखनऊ के माफिया अरुण शंकर शुक्ला (Arun Shankar Shukla) उर्फ अन्ना के साथ था।
इस मामले में अन्ना ने बबलू श्रीवास्तव को आरोपी बनाकर जेल (Jail) भिजवा दिया। यह बबलू के खिलाफ पहला मुकदमा था। यहीं से उसके मन में नफरत की आग जलने लगी थी।