नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर के साथ ही जगह-जगह लॉकडाउन भी लगने लगा है। इस वजह से लोगों का रोजगार छिन रहा है। इसका असर रोजगार के आंकड़ों पर भी पड़ सकता है।
ऐसे में अप्रैल में देश में बेरोजगारी की दर 8 फीसदी तक जाने की आशंका है। मार्च में बेरोजगारी की दर 6.5 फीसदी रही थी।
सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण अप्रैल के दो सप्ताह में बेरोजगारी की दर में तेजी दर्ज की गई है।
अप्रैल के पहले सप्ताह में बेरोजगारी की दर 8.2 फीसदी तथा दूसरे में 8.6 फीसदी रही।
तीसरे सप्ताह में बेरोजगारी की दर 8.4 फीसदी तथा चौथे सप्ताह में बेरोजगारी की दर 7 से 8 फीसदी के बीच रहने की आशंका है। ऐसा होने पर अप्रैल में बेरोजगारी की दर 8 फीसदी से ऊपर जा सकती है।
इसके कई कारण है। आर्थिक गतिविधियां कम हुई है। मजदूरों का पलायन हो रहा है।
श्रमिकों के बाजार की स्थिति बदतर
सीएमआईई के अनुसार कोविड के बढ़ते मामलों से श्रमिकों के बाजार की स्थिति बदतर हो गई है। मजदूरों का पलायन जारी है। आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित हुई है।
ऐसे में बेरोजगारी की दर में बढ़ोतरी स्वाभाविक है। के सीईओ महेश व्यास का कहना है कि लेबर पार्टिस्पिेशन रेट (एलपीआर) में गिरावट की आशंका है।
इसके मायने में देश में एक्टिव लेबर फोर्स का कम होना। इसके साफ मायने में हैं कि लोगों को रोजगार छूट गया।
इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। मजदूरों ने अगर पलायन किया है तो वे एक्टिव लेबर फोर्स से अलग हो गए हैं।
जीडीपी ग्रोथ हो सकती है प्रभावित
एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट को बैंक के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने तैयार किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कुछ राज्यों ने लॉकडाउन व प्रतिबंध लगाए हैं।
इसके ज्यादा समय तक जारी रहने से वित्त वर्ष 2021-22 में देश की जीडीप ग्रोथ प्रभावित हो सकता है।
जीडीपी ग्रोथ के बारे में एसबीआई का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में देश की रियल जीडीपी 10.4 फीसदी और नॉमिनल जीडीपी 14.2 फीसदी हो सकती है।