नई दिल्ली: देश में समग्र अनुसंधान तंत्र को मज़बूत करने और नवाचार के साथ-साथ अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय बजट 2021-22 में कुछ महत्वपूर्ण पहलों की घोषणा की गई है।
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के लिए 50,000 करोड़ रुपये के परिव्यय, डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहन के लिए 1,500 करोड़ रुपये वित्तीय सहायता प्रदान करने और गहरे महासागर में शोध के लिए 4 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बजट परिव्यय की घोषणा की गई है।
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में केन्द्रीय बजट 2021-22 पेश करने के दौरान डिजिटल भुगतान, अंतरिक्ष क्षेत्र और गहरे महासागर में अन्वेषणों को शामिल करते हुए विभिन्न महत्वपूर्ण पहलों का प्रस्ताव दिया।
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन
वित्त मंत्री ने अगले पांच वर्षों के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के लिए 50,000 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा, “यह चिन्हित राष्ट्रीय-प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए देश में एक समग्र अनुसंधान तंत्र को मज़बूत बनाने के मार्ग को सुनिश्चित करेगा।”
डिजिटल भुगतानों को बढ़ावा
सीतारमण ने सदन को जानकारी देते हुए बताया कि पिछले समय में डिजिटल भुगतानों में कई गुना वृद्धि हुई है और इसी गति को आगे भी बनाए रखने की आवश्यकता थी।
इसके लिए एक योजना हेतु 1,500 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया गया है जिसके माध्यम से भुगतान के डिजिटल माध्यमों और आगामी डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहन देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
राष्ट्रीय भाषा अनुवाद अभियान
राष्ट्रीय भाषा अनुवाद अभियान (एनटीएलएम) नामक एक नई पहल का प्रस्ताव दिया गया है जिससे इंटरनेट पर शासन और नीति संबंधित ज्ञान रूपी भंडार का डिजिटलीकरण करने के साथ-साथ इसे प्रमुख भारतीय भाषाओं में उपलब्ध भी कराया जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र
मंत्री ने सदन को जानकारी देते हुए बताया कि अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) कुछ भारतीय छोटे उपग्रहों के साथ ब्राजील के उपग्रह अमेज़ोनिया को पीएसएलवी-सीएस51 के माध्यम से प्रक्षेपित करेगी।
गगनयान मिशन के लिए रूस में जैनरिक स्पेस उड़ान आयामों के लिए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है, इसके प्रक्षेपण की योजना दिसंबर 2021 में बनाई गयी है।
गहरे महासागर का अभियान
महासागर क्षमता को बेहतर रूप से समझने के लिए सीतारमण ने अगले पांच वर्षों के लिए 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के बजट परिव्यय के साथ एक गहरे महासागर मिशन के शुभारंभ का प्रस्ताव दिया है।
इस अभियान के तहत, गहरे महासागर में सर्वेक्षण अन्वेषण और गरहे महासागर की जैव-विविधता के संरक्षण की परियोजनाओं को शामिल किया जाएगा।