Big disclosure on rail accidents: कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस को डिरेल करने की कोशिश की गई थी। इसके बाद देश की कई एजेंसियां और ATS इसकी जांच कर रही हैं कि कहीं इसके पीछे कोई आतंकी साजिश तो नहीं।
कानपुर में बीते कुछ दिन पहले भी ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की गई। वहीं ATS की रिपोर्ट की मानें तो बीते दो सालों में देश में 14 ऐसे रेल हादसे हुए हैं जिसमें एक आम बात सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन हादसों को अंजाम देने के लिए साजिशकर्ताओं ने नॉन बिजी रूट को अपना निशाना बनाया।
कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस हादसे की जांच करने के लिए ATS के IG नीलाभजा चौधरी पहुंचे थे।
इसके पीछे आतंकी साजिश होने का पता लग रही है ATS
इस दौरान उन्होंने बताया कि इस हादसे को लेकर जांच की जा रही है। यह आतंकी साजिश हो भी सकती है और नहीं भी। जब उनसे यह सवाल किया गया कि कानपुर को ही क्यों टारगेट किया गया तो उन्होंने कहा कि सिर्फ कानपुर टारगेट है ऐसा नहीं है।
UP के कई शहरों में इस तरीके के मामले सामने आए हैं। कालिंदी एक्सप्रेस हादसे को लेकर पुलिस और खुफिया एजेंसी संदिग्ध लोगों से पूछताछ कर रही हैं।
ATS रिपोर्ट सामने आई है जिसमें जब ATS द्वारा 2 साल में 14 ऐसे रेल हादसों पर study की गई तो उसमें एक चौंकाने वाली बात सामने आई।
सामने आया कि साजिशकर्ताओं ने ट्रेन हादसा करने के लिए ऐसे रूट चुने थे जो नॉन बिजी रुट थे। उन रूट में ट्रेनों का आना-जाना कम था और इस वजह से ऐसे रूट ज्यादातर सूनसान रहते हैं तो उन पर लोगों का ध्यान और नजर नहीं जाती।
कानपुर महानगर की बात की जाए तो करीब 1 महीने के अंदर रेलवे से जुड़े तीन हादसे हो चुके हैं जिसमें 17 अगस्त को कानपुर के गुजैनी से भीमसेन के बीच झांसी रोड पर साबरमती एक्सप्रेस डिरेल हो गई थी।
इस घटना में 20 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इसकी जांच भी अभी एजेंसी कर रही है. इसमें भी अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
वहीं बीते पांच सितंबर को गुजैनी पुल पर रेलवे ट्रैक पर एक ट्रक भी गिर गया था।
इससे भी रेलवे काफी नुकसान हुआ था। फिर 9 सितंबर को कालिंदी एक्सप्रेस के ट्रैक पर एक सिलेंडर रखा गया था जिसमें ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की गई थी जिसकी जांच भी अभी कई खुफिया एजेंसी और ATS कर रही है।