नई दिल्ली: केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एयर इंडिया के विनिवेश के सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि देश के नवरत्नों में शामिल एयर इंडिया की दुर्दशा के लिए यूपीए सरकार जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान 111 एयरक्राफ्ट की खरीद एवं एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स के विलय के बाद से ही एयर इंडिया की हालत खस्ता होती चली गई।
कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की लोक सभा में मौजूदगी के दौरान सिंधिया ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान लिए गए गलत फैसलों की वजह से एयर इंडिया की आर्थिक हालत लगातार खराब होती चली गई, घाटा बढ़ता चला गया।
उन्होंने कहा कि जो एयर इंडिया 2005-06 में 14-15 करोड़ के मुनाफे में थी, उसे अगले 14 वर्षों में 85 हजार करोड़ का नुकसान झेलना पड़ गया।
सोनिया गांधी के विरोध और कांग्रेस सांसदों के हंगामे के बीच पलटवार करते हुए सिंधिया ने कहा कि, मैं तो इस बारे में चुप था, कुछ बोलना नहीं चाहता था, लेकिन आपने ही मेरा मुंह खुलवाया है तो अब सच सुनने की क्षमता रखिए।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस घाटे को बंद करने और इस राशि का इस्तेमाल उज्जवला और मुफ्त राशन जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं में करने का फैसला किया और इसलिए एयर इंडिया को टाटा को दिया गया।
विनिवेश को लेकर भी कांग्रेस पर पलटवार करते हुए सिंधिया ने कहा कि जो लोग विनिवेश का आरोप लगा कर हमारी आलोचना कर रहे हैं उन्हें अपनी सरकारों का रिकार्ड भी देखना चाहिए।
सिंधिया ने कांग्रेस पर हमला जारी रखते हुए कहा कि 1991- 93 के बीच तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 3 हजार करोड़ रुपये का विनिवेश का कार्यक्रम चलाया था जो भारत सरकार के नवरत्न , इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, गेल, एचपीसीएल और अन्य कई महत्वपूर्ण कंपनियों के लिए था।
उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार के पहले कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि 2004 से 2009 के दौरान साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये का विनिवेश कार्यक्रम चलाया गया था जो हिंदुस्तान पेट्रोलियम, एनटीपीसी, पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन और भारत पेट्रोलियम जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण कंपनियों के लिए था। उन्होंने कहा कि 2009 से 2014 के दौरान एक लाख पांच हजार करोड़ रुपये का विनिवेश कार्यक्रम चलाया गया।
केंद्रीय बजट – वर्ष 2022-23 के लिए नागर विमानन मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए सिंधिया ने यह भी बताया कि टाटा के साथ एयर इंडिया को लेकर किए गए समझौते के मुताबिक टाटा एक वर्ष तक किसी भी कर्मचारी को निकाल नहीं सकता है और अगर वो एक एक वर्ष के बाद किसी को निकालना चाहता है ।
तो वो भी सिर्फ वीआरएस योजना के जरिए ही किया जा सकता है। उन्होने कहा कि सरकार सीजीएचएस और एनएचए के आधार पर एयर इंडिया कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
8 घंटे और 10 मिनट की चर्चा के बाद लोक सभा ने ध्वनिमत से केंद्रीय बजट – वर्ष 2022-23 के लिए नागर विमानन मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों को पारित कर दिया।