नई दिल्ली: ने कहा है कि यूपीएससी की मुख्य परीक्षा देने से चूक गए छात्रों को अगर परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया गया तो दूसरी परीक्षाओं के शेड्यूल गड़बड़ा जाएंगे और इससे अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। यूपीएससी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर ये बातें कही हैं।
यूपीएससी ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करने में केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की भी भूमिका होती है। इसलिए उसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता है।
यूपीएससी ने कहा है कि सिविल सेवा की परीक्षा में हिस्सा लेने के लिए 21 वर्ष से 32 वर्ष की उम्र के लोग हिस्सा ले सकते हैं। उम्र सीमा में कुछ वर्गों को छूट दी गई है।
इसके अलावा अधिकतम छह बार परीक्षा में शामिल होने का भी प्रावधान है। यूपीएससी ने कहा कि सिविल सेवा की परीक्षा के लिए वह काफी पहले से तैयारी करती है ताकि समय से नियुक्तियां की जा सकें। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 25 अप्रैल को सुनवाई करने वाला है।
21 मार्च को सुनवाई के दौरान यूपीएससी की ओर से वकील नरेश कौशिक ने कहा था कि यूपीएससी आज हलफनामा दाखिल करेगी।
तब याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि यूपीएससी को पिछली सुनवाई के दौरान जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया गया था लेकिन अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया गया है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि यूपीएससी ने रिजल्ट जारी कर दिया है और इस मामले में जल्द सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है।
इस पर गोपाल शंकरनारायणन ने कड़ा एतराज जताया। उन्होंने कहा कि यूपीएससी ने पहले जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की और इस बीच में रिजल्ट जारी कर दिया।
अब यूपीएससी ये बताए कि वो याचिकाकर्ताओं को एक और मौका देगी कि नहीं। 7 मार्च को कोर्ट ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए यूपीएससी को दो हफ्ते का समय दिया था।
तीन छात्रों ने यूपीएससी की प्रीलिम्स 2021 की परीक्षा क्लियर कर ली थी। दो छात्रों ने मुख्य परीक्षा बीच में ही छोड़ दी थी जबकि तीसरा कोरोना से संक्रमित हो गया था।
याचिका में मांग की गई है कि तीनों छात्रों को यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में शामिल होने का एक मौका और दिया जाए।
याचिका में मांग की गई है कि जिन दो छात्रों की परीक्षा बीच में छूट गई थी, उनकी बची परीक्षा का वैकल्पिक इंतजाम किया जाए।