विस्थापितों के धरने के दौरान मारपीट की जांच पर कोर्ट ने जाना सरकार का पक्ष, फिर..

इस मारपीट की घटना में सीसीएल के अधिकारी एवं पुलिस प्रशासन की संलिप्तता थी। इसलिए 20 फरवरी को विस्थापितों के साथ मारपीट की घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाये।

News Aroma Media

रांची : झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में मंगलवार को तापीन साउथ प्रोजेक्ट CCL, चरही, हजारीबाग के विस्थापितों के धरने के दौरान उनसे मारपीट की घटना की निष्पक्ष जांच करने का आग्रह करने वाली शक्ति देवी एवं अन्य की क्रिमिनल रिट की सुनवाई हुई।

जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद याचिका को निष्पादित कर दिया।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दी कि वह मामले में दर्ज अनुसंधान में अपनी बात रख सकता है। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी का अनुसंधान अभी चल रहा है।

फाइनल फॉर्म अभी अदालत में दाखिल नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पांडे नीरज राय, रोहित रंजन सिन्हा, अभिषेक अग्रवाल ने पैरवी की।

विस्थापितों के खिलाफ ही प्राथमिकी दर्ज

तापीन साउथ प्रोजेक्ट CCL के विस्थापित अपनी मांगों को लेकर 22 अगस्त, 2022 से विस्थापित/प्रभावित संघर्ष मोर्चा के बैनर तले धरना दे रहे थे। धरना के 187 दिन 20 फरवरी को असामाजिक तत्वों ने धरना कर कर रहे हैं लोगों के साथ मारपीट की लेकिन पुलिस ने धरना दे रहे विस्थापितों के खिलाफ ही तीन प्राथमिक की दर्ज कर ली। पुलिस ने धरनारत 43 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था।

विस्थापितों का कहना था कि जिन असामाजिक तत्वों ने उन्हें पीटा है उनके खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की जबकि शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहे लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

इस मारपीट की घटना में CCL के अधिकारी एवं पुलिस प्रशासन की संलिप्तता थी। इसलिए 20 फरवरी को विस्थापितों के साथ मारपीट की घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाये।