न्यूयॉर्क: अमेरिका ने रूस निर्मित एस-400 ट्रायम्फ एंटी मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिया है, साथ ही मॉस्को से हथियार खरीदने को लेकर भारत और अन्य देशों को भी अपनी चेतावनी दोहराई है।
अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और परमाणु अप्रसार के असिस्टेंट सेक्रेटरी क्रिस्टोफर फोर्ड ने सोमवार को काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) के तहत नाटो सहयोगी तुर्की पर प्रतिबंधों की घोषणा की।
उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि दुनिया भर के अन्य देश भी इस बात पर ध्यान देंगे कि अमेरिका सीएएटीएसए धारा 231 प्रतिबंधों को पूरी तरह से लागू करेगा और उन्हें रूसी उपकरणों की खरीद से बचना चाहिए, खासकर उन लोगों को जो प्रतिबंधों की चपेट में आ सकते हैं।
भारत ने अमेरिका को धता बताते हुए एस-400 एंटी-मिसाइल सिस्टम की पांच यूनिटों के लिए 2018 में 5.43 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
अमेरिका ने भारत को रूसी प्रणाली की खरीद से बार-बार रोकने की कोशिश की है।
अमेरिका ने सीएएटीएसए से भारत को छूट देने से इनकार किया है, लेकिन उसने भारत को हथियार बेचना जारी रखा है।
पिछले साल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान, उन्होंने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3.5 अरब डॉलर के एक हथियार सौदे की घोषणा की थी, जिसमें 24 सिकोरस्की एमएच-60आर सी हॉक मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर छह बोइंग एएच-64ई अपाचे गार्डियन अटैक हेलीकॉप्टर शामिल हैं।
रूसी हथियार खरीदने वाले देशों पर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के तहत नीति बदलना जटिल हो सकता है क्योंकि सीएएटीएसए को डेमोक्रेट का भी समर्थन है, जो मॉस्को के प्रति अधिक विरोधी हैं क्योंकि उनका दावा है कि रूसी दखलदांजी के कारण ट्रंप को 2016 में राष्ट्रपति चुनाव जीतने में मदद मिली थी।
तुर्की के खिलाफ नवीनतम प्रतिबंध अंकारा के उन्नत एफ-35 लड़ाकू जेट प्राप्त को लेकर लगाया गया है।
फोर्ड ने कहा कि प्रतिबंध एसएसबी को हथियारों के निर्यात लाइसेंस प्राप्त करने और ऋण प्राप्त करने से रोकेंगे और अमेरिका अन्य स्रोतों से कंपनी को ऋण देने का भी विरोध करेगा।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, तुर्की के चार अधिकारियों को वीजा और वित्तीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।