रांची: झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को धनबाद जज उत्तम आनंद मौत मामले की सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।
अदालत ने सीबीआई (CBI) की ओर से दायर चार्जशीट पर नाराजगी जाहिर करते हुए फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि जब हाई कोर्ट मामले की निगरानी कर रही है तो बिना उसकी अनुमति के निचली अदालत में चार्जशीट कैसे दाखिल कर दी गई।
अदालत ने कहा कि जब चार्जशीट में हत्या के मोटिव के बारे में नहीं बताया गया है तो जांच पूरी करते हुए चार्जशीट कैसे दाखिल कर दी गई।
इसका मतलब सीबीआई (CBI) आरोपियों को निचली अदालत में एक्सीडेंट साबित करने का मौका दे रही है।
अदालत ने इस बात को भी लेकर कड़ी नाराजगी जताई कि शुरू से ही सीबीआई स्टीरियोटाइप रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर रही है और कोर्ट को अंधेरे में रख रही है।
अदालत ने सीबीआई से पूछा कि निगरानी का क्या मतलब होता है क्या सीबीआई इसे सिर्फ खानापूर्ति समझ रही है। क्योंकि अदालत इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है । इस घटना ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कराया था।
इस घटना से जुडिशल अधिकारियों का मनोबल गिरा है। लेकिन कोर्ट इनका मनोबल बढ़ाने के लिए इस मामले में शामिल सभी आरोपितों को कड़ी सजा दिलाने के बारे में सोच रही थी।
लेकिन सीबीआई की अब तक की जांच से पता चल रहा है कि उन्होंने पूरे केस को समाप्त कर दिया है। अदालत ने इसको लेकर भी सवाल उठाया कि चार्जशीट भी जांच रिपोर्ट में नहीं दी गई है।
अदालत ने कहा कि कोर्ट ने पूर्व में ही आशंका जाहिर की थी कि यह मामला कहीं मिस्ट्री मर्डर ना बन जाए। लेकिन अब लग रहा है कि यह मामला मिस्ट्री ऑन एक्सप्लेन की ओर बढ़ रहा है।
अदालत ने कहा कि सीबीआई की अब तक की जांच से कोर्ट बहुत दुखी है। सीबीआई की कार्रवाई पर अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बाबुओं की तरह सीबीआई काम रही है।
अगले सुनवाई में सीबीआई के निदेशक को अदालत ने सम्मन जारी किया है । साथ ही अगले सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से अदालत के समक्ष हाजिर होने का निर्देश दिया।
पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने जांच रिपोर्ट पेश की थी। जिसे लेकर हाई कोर्ट ने कहा था कि इस रिपोर्ट में कुछ भी स्पष्ट नहीं हो रहा है। हाई कोर्ट ने सीबीआई और एसआईटी को स्पेसिफिक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।
हाई कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि दो आरोपितो से पूछताछ की जा रही है। पूछताछ में कई संबंधित लोगों का संबंध पता चल रहा है, लेकिन इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने अगले छह महीने में एफएसएल को पूरी तरह से अपग्रेड करने की बात करते हुए प्रति शपथ पत्र दायर किया था। जिसमें कहा गया था कि छह महीने में फंड रिलीज किया जायेगा। इसमें भी कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी।
जेपीएससी और जेएसएससी पर भी नाराजगी जाहिर करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि कुंभकरण की तरह ना बने, तीन महीने में पूरी खाली पद भरे। नहीं तो इसे लेकर कठोर आदेश जारी किया जाएगा।