लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपचुनावों में सात सीटों में से छह पर जीत ने भाजपा के हौसले बढ़ा दिए हैं। जनता ने योगी सरकार के कामकाज पर मुहर लगाई है।
वहीं विपक्षी दलों को अपनी रणनीति बदल कर आगामी विधनसभा चुनाव में लड़ने का सबक सिखा दिया है। आए नतीजों ने विपक्ष को सकारात्मक मुद्दों को उठाने का सबक दिया है।
कोरोना संकट, हाथरस कांड जैसे मामलों के बावजूद भाजपा की यह जीत जनता के भरोसे का प्रतीक बताया जा रहा है। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व पर मुहर भी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दो सीटों पर सपा और रालोद का कोई जादू नहीं चल सका। इस चुनाव में कांग्रेस और बसपा का खाता भी नहीं खुला। दलित युवाओं के बीच तेजी से उभर रही चन्द्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज को भी कोई कामयाबी नहीं मिल सकी है। मल्हनी सीट पर भाजपा तीसरे पायदन पर पहुंच गयी। इससे पहले वह चौथे नम्बर पर थी।
इस बार भाजपा ने अपने कार्यकतार्ओं को टिकट देकर एक नया दांव अजमाया था। देवरियाए टूंडला व घाटमपुर में परिजनों को टिकट न देकर अपने कार्यकतार्ओं को मौका दिया। देवरिया में पूर्व विधायक स्व. जन्मेजय सिंह के पुत्र की बगावत भी भाजपा का कुछ नहीं कर सकी। बांगरमऊ में दागी पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर के परिवार को दूर रखते हुए वहां पर पार्टी के साधारण कार्यकर्ता श्रीकांत कटियार को टिकट दिया और वह जीत गये।
सत्तारूढ़ दल ने चुनाव में गंभीरता दिखाई हर सीट पर सरकार और संगठन के लोगों ने भरपूर मेहनत का परिणाम उन्हें 7 में से 6 सीट पर कामयाबी दिलाई। चुनाव प्रचार में सरकार व संगठन का बेहतर टीम वर्क दिखा।
भाजपा प्रदेश मीडिया इंचार्ज मनीष दीक्षित ने बताया कि भाजपा हर चुनाव को गंभीरता से लेती है। उपचुनाव को लेकर सरकार और संगठन ने मिलकर मेहनत की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने संयुक्त जनसभाओं के अलावा हर क्षेत्र के कार्यकतार्ओं से वर्चुअल संवाद के माध्यम से संपर्क साधा। संगठन महामंत्री सुनील बंसल का बूथ प्रबंधन कोरोना संक्रमण के दौरान भी वोटरों को मतदान केंद्रों तक पहुंचाने की अपील करते रहे। दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा के साथ मंत्रीमंडल सदस्यों ने पार्टी पदाधिकारियों ने सामंजस्य बिठकार पार्टी को कामयाबी दिलाई है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक गिरीश पांडेय कहते हैं कि भाजपा हर चुनाव को काफी गंभीरता के साथ लड़ती है। इस उपचुनाव में सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने पहले हर सीट के मंडल, सेक्टर और बूथ के प्रमुख पदाधिकारियों से वर्चुअल संवाद कर उनको जीत का मंत्र दिया। बाद में हर सीट पर खुद प्रचार करने भी पहुंचे। नतीजा सबके सामने है।
उनका कहना है कि विपक्ष के मुखिया कहीं जमीन पर नहीं दिखे। वो केवल सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार करते रहे। जनता के बीच में नहीं पहुंचे। इसी का खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। इस चुनाव में विपक्षी दल बसपा और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है। जबकि सपा को एक सीट से संतोष करना पड़ा है। उपचुनाव के आए इस परिणाम से भाजपा का हौसला और बढ़ गया है। आने वाले समय में यह जीत कार्यकतार्ओं को ऊजार्वान बनाएगा।