रांची: भाजपा विधायक दल (BJP Legislature Party) के नेता बाबूलाल मरांडी के दलबदल मामले में मंगलवार को स्पीकर के न्यायाधिकरण में सुनवाई हुई। दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद स्पीकर ने अगली सुनवाई की तारीख एक सितंबर मुकर्रर की है। इससे पहले 17 मई को मामले में सुनवाई हुई थी।
उल्लेखनीय है कि बाबूलाल मरांडी झाविमो के सिंबल पर 2019 में विधानसभा चुनाव जीते थे। चुनाव के बाद वे BJP में शामिल हो गये थे। मरांडी का दावा है कि उन्होंने झाविमो का विलय BJP में नियमानुसार किया है। झाविमो में BJP के विलय को निर्वाचन आयोग की मंजूरी भी मिल चुकी है।
सुनवाई के लिए आठ बिंदु निर्धारित किये गये थे
वहीं, संविधान (Constitution) की दसवीं अनुसूची के तहत बाबूलाल मरांडी के खिलाफ चार मामले स्पीकर के न्यायाधिकरण में दर्ज कराए गए थे। ये शिकायतें पूर्व MLA राजकुमार यादव, बंधु तिर्की और विधायक भूषण तिर्की, दीपिका पांडे सिंह और प्रदीप यादव ने दर्ज कराई थी। इन मामलों में लंबी सुनवाई के बाद स्पीकर ने नौ मई को बाबूलाल की ओर से प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर संवैधानिक बिंदुओं पर चर्चा शुरू की थी। सुनवाई के लिए आठ बिंदु निर्धारित किये गये थे।
दलबदल मामले में एक ही तरह के सात मामले
बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता ने इसका पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि उन्हें संवैधानिक प्रावधानों को रखने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने न्यायाधिकरण के समक्ष बार-बार प्रोपोज्ड इश्यू और साक्ष्य को रखने की मांग की।
संवैधानिक प्रावधानों के तहत 10 वीं अनुसूची में दिए गए संवैधानिक अवधारणाओं पर भी प्रतिवादी को पक्ष नहीं रखने दिया गया। दलबदल मामले में एक ही तरह के सात मामले हैं लेकिन सिर्फ बाबूलाल मरांडी के मामले पर तेजी है जबकि प्रदीप यादव और बंधू तिर्की के मामले पर कुछ नहीं हो रहा है। यह आधा और अपूर्ण सुनवाई के आधार पर फैसले देने की तयारी न्यायोचित नहीं है।
न्यायाधिकरण (Tribunal) ने सभी बिन्दुओं को सुनने के बाद बाबूलाल मरांडी की सदस्यता से जुड़े चार मामले पर आदेश सुरक्षित रख लिया है और कभी भी इसपर अपना निर्णय सुना सकती है। ये चार मामले हैं राजकुमार यादव बनाम बाबूलाल मरांडी, भूषण तिर्की बनाम बाबूलाल मरांडी, दीपिका पाण्डेय सिंह बनाम बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव व बंधू तिर्की बनाम बाबूलाल मरांडी।