बेंगलुरु: कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने बुधवार को कहा कि हिजाब विवाद पर अल कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी का वीडियो राज्य में विवाद के पीछे अदृश्य हाथ का होना साबित करता है।
ज्ञानेंद्र ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वीडियो सामने आने से संदेह सच हो रहा है। उन्होंने कहा, केंद्र, राज्य के गृह और पुलिस विभाग इस पर काम कर रहे हैं। यह बहुत ही गंभीर मामला है और अधिकारियों ने इसे विधिवत संभाला।
गृहमंत्री ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने हिजाब पहनकर कक्षाओं में आने की सहमति मांगने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए अपने फैसले में अदृश्य हाथ की भूमिका का भी उल्लेख किया है।
उन्होंने कहा, मैंने राज्य में हिजाब विवाद के पीछे धार्मिक कट्टर संगठनों के दखल का भी उल्लेख किया था। अल कायदा के वीडियो ने अब इसे साबित कर दिया है।
उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है। बच्चियों (विरोध शुरू करने वाली छात्राओं) का व्यवहार, उनकी बातचीत और असहयोग सामान्य नहीं था।
जवाहरी ने अपने नौ मिनट के वीडियो में कर्नाटक के मांड्या जिले के कॉलेज की छात्रा मुस्कान खान की प्रशंसा की, जिसने कॉलेज परिसर में जय श्रीराम के नारे लगाने वाली भीड़ का मुकाबला करते हुए अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए।
द नोबल वुमन ऑफ इंडिया शीर्षक वाले वीडियो में अल कायदा प्रमुख ने कर्नाटक की छात्रा की तारीफ में अपनी रची हुई एक कविता सुनाई। उसने वीडियो में कहा कि उसे मुस्कान खान के बारे में सोशल मीडिया के जरिए पता चला और वह एक बहन के काम से हिल गया है।
जवाहरी ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों की भी आलोचना की है।
वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए श्रीराम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक ने कहा है कि एक आतंकवादी संगठन के पास भारत को सलाह देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें अफगानिस्तान और पाकिस्तान में महिलाओं के साथ सतही और बर्बर आचरण से संबंधित मुद्दे का समाधान करना चाहिए।
उडुपी गर्ल्स प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छह छात्राओं के विरोध के साथ राज्य में हिजाब को लेकर उठा विवाद एक बड़े मुद्दे में बदल गया है।
इस विवाद ने राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों को प्रभावित किया।
हालांकि, हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब की अनुमति देने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है और कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
कर्नाटक सरकार ने फैसले को लागू कर दिया है और एसएसएलसी (कक्षा 10) परीक्षाओं में हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं और शिक्षिकाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी है।