Ranchi/रांची: झारखंड सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया है।
इसे अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार की ओर से मंगलवार को बजट सत्र के अंतिम दिन झारखंड राज्य के स्थानीय उम्मीदारों का नियोजन विधेयक 2021 सभा पटल पर रखा गया।
लेकिन पक्ष-विपक्ष के कई सदस्यों के सुझाव के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पर गहन विचार-विमर्श के लिए विधेयक को प्रवर समिति को भेजने पर सहमति प्रदान की।
विधानसभा में दूसरी पाली में श्रम नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने इस विधेयक को सभा पटल पर विचार के लिए रखा, जिस पर भाकपा-माले के विनोद कुमार सिंह और विधायक प्रदीप यादव ने इसे प्रवर समिति को सौंपने की मांग की।
लेकिन सदन ने पहले ध्वनिमत से पहले उनके इस आग्रह को खारिज कर दिया।
लेकिन पक्ष-विपक्ष की ओर से इस विधेयक पर दिये गये 22 संशोधन प्रस्ताव आने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद इसे प्रवर समिति को सौंपने पर सहमति जताते हुए कहा कि समिति तीन दिन में विचार के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से निजी क्षेत्र की कंपनियों में 75 फीसदी स्थानीय लोगों को आरक्षण के साथ ही सभी वर्गां का ध्यान रखने के लिए भी सुनियोजित तरीके से कदम उठाए जाएंगे और किसी भी तरह की अनियमितता ना हो, इसे लेकर आवश्यक कदम उठाये जाएंगे।
इस विधेयक पर भाजपा के रामचंद्र चंद्रवंशी, अमर कुमार बाउरी, अमित कुमार मंडल और विधायक प्रदीप यादव द्वारा संशोधन के कई प्रस्ताव दिया गया था।
संशोधन प्रस्ताव में केंद्रीय और राज्य सरकार के अधीन चलने वाले सार्वजनिक उपक्रमों को छूट, दक्ष कामगार नहीं मिलने पर कंपनी के आवेदन पर उपायुक्त द्वारा दी जाने वाली छूट, निजी क्षेत्र की कंपनी में सिर्फ एक ही वर्ग या समुदाय की नियुक्ति, 2013 के साथ ही 1956 के अधिनियम को भी जोड़ने और विधेयक में प्रावधान किये गये कई खंडों को विलोपित करने की मांग की गयी थी।
संशोधन प्रस्ताव लाने वाले भाजपा विधायकों का कहना था कि इस विधेयक के तहत राज्य के सभी एलएलपी, एलटीडी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों में 75 फीसदी नौकरी स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है।
ये नियम राज्य और केंद्र सरकार की कंपनियों पर लागू नहीं होगी। पक्ष-विपक्ष सदस्यों ने इन्हीं सब त्रुटियों की वजह से विधेयक पर संशोधन प्रस्ताव रखा था।