मॉस्को: Putin के खिलाफ बगावत पर उतारु हुए प्रिगोझिन (Prigozhin) ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है।
उन्होंने हिंसक विद्रोह (Violent Rebellion) को देशद्रोहियों से लड़ने और समाज के एकजुट करने का नाम दिया है।
जानकारी के अनुसार प्रिगोझिन जल्दी ही रूस लौटने वाले हैं।
गौरतलब है कि रूसी राष्ट्रपति (Russian President) व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के खिलाफ असफल विद्रोह और फिर बेलारूस में शरण, कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम से भरे हफ्ते के बाद आखिरकार वैगनर ग्रुप (Wagner Group) के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन (Yevgeny Prigozhin) ने अपनी बात कही है।
रूस की जनता से वैगनर आर्मी के लिए खड़े होने की अपील
अपने विद्रोह की असफलता के बाद से प्रिगोझिन चुप थे लेकिन अब उन्होंने अपने समर्थकों का धन्यवाद दिया है।
बेलारूस (Belarus) में शरण लेने और हफ्ते भर की चुप्पी के बाद जब प्रिगोझिन बोले तो उन्होंने अपने हिंसक विद्रोह का बचाव किया और इसे मार्च टू जस्टिस बताया।
उन्होंने कहा कि उनका मिशन देशद्रोहियों से लड़ना और समाज को एकजुट करना था। प्रिगोझिन ने रूस की जनता से वैगनर आर्मी के लिए खड़े होने की अपील की।
अपने अनुरोध में उन्होंने कहा, हमें आपके समर्थन की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है।
टेलीग्राम पर 41 सेकेंड का वॉइस मैसेज पोस्ट करते हुए कहाँ
प्रिगोझिन ने अपने संदेश में उन्होंने कहा कि आने वाले भविष्य में, मुझे यकीन है कि आप मोर्चे पर हमारी अगली जीत देखेंगे। प्रिगोझिन ने ये बातें टेलीग्राम पर पोस्ट किए एक 41 सेकेंड के वॉइस मैसेज में कहीं।
जानकार बताते हैं कि 36 घंटे के सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व, दक्षिणी रूसी शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन (Rostov-on-don) पर कब्जा और मॉस्को के 200 किमी के भीतर अपने लड़ाकों को भेजने के बाद प्रिगोझिन रूस के सबसे बड़े दुश्मन बन चुके हैं।
पुतिन ने उनके विद्रोह को पीठ में छुरा घोंपना बताया था और इसकी निंदा की थी।
तख्तापलट की अटकलों को कर दिया खारिज
हालांकि बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने पुतिन और वैगनर चीफ के बीच समझौता कराया था जिसके तहत प्रिगोझिन और उनके लोग निर्वासन में चले गए थे।
26 जून को टेलीग्राम पर पोस्ट किए अपने आखिरी बयान में प्रिगोझिन ने कहा कि खून खराबे से बचने के लिए उन्होंने अपने लोगों को बेस पर वापस जाने का आदेश दिया है।
उस समय वैगनर चीफ ने तख्तापलट की अटकलों को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि विद्रोह का उद्देश्य सरकार को उखाड़ फेंकना नहीं था बल्कि वैगनर के विनाश को रोकने का प्रयास था।