रांची: पहली वर्षगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा कि एक भी वेंटिलेटर नहीं होते हुए भी सरकारी अस्पतालों के साथ हमने कोरोना को परास्त किया है।
चुनौती ये थी कि पूर्ववर्ती सरकार ने सरकारी अस्पताल को बीमार बना दिया था।
सरकार ने इस टूटी-फूटी व्यवस्था को दुरुस्त कर कोरोना से लोगों को राहत दिलाई है।
महानगरों से जो लोग आए हैं, उन्हें भी हमारी जरूरत है। हमने झारखंड वासियों को अपने घर पर आने का न्योता दिया।
उन्हें हवाई जहाज ट्रेन और बसों से बुलवाया। हमारी ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने अपनी जान की बाजी लगाकर महीनों तक गरीबों को खाना खिलाया है।
हम ऐसी महिलाओं को सैल्यूट करते हैं, जिन्होंने अपने परिवार की फिक्र किए बगैर इस राज्य का पेट भरा।
कहा कि सरकार के सामने हालात बहुत भयावह थे। उन लोगों को तनख्वाह कैसे दिया जाएगा, यह भी चुनौती थी।
विपक्ष के लोगों ने हमें कई बार इंगित किया- सरकार रोजगार देने में विफल रही किसानों को राहत देने में विफल रही।
लेकिन, सबसे पहले आर्थिक व्यवस्था को देखना पड़ता है।
यही कारण है कि किसानों को ऋण माफ करने का निर्णय लेने में हमें 1 साल लग गए। हमें संसाधन भी जुटाना था।
उन्होंने कहा कि हमारे पास संपदा के अलावा प्राकृतिक सौंदर्य का भंडार है।
हमारे खिलाड़ी और हमारे कलाकार बुरे हाल में हैं। इस राज्य में पहली बार में सभी 24 जिलों में खेल पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है।
राज्य का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति देने का काम सरकार ने किया है। तमाम नौकरियों में हम खिलाड़ियों को आरक्षण देने की कवायद भी जुटे हैं।