नई दिल्ली: वैक्सीन परीक्षण के दौरान स्वयंसेवकों के साथ होने वाली दो कथित प्रतिकूल घटनाओं की रिपोटिर्ंग के मद्देनजर, वैक्सीन लेने के लिए लोगों में भय और संकोच बढ़ रहा है।
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि सरकार का कोविड-19 वैक्सीन को प्रत्येक व्यक्ति को देने का कोई इरादा नहीं है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा, वैक्सीन हिचकिचाहट एक अंतर्निहित मुद्दा है, जिसका प्रतिकूल घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है।
आबादी का एक वर्ग सोचता है कि इसे टीकाकरण की आवश्यकता नहीं है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक (डीजी) प्रो. बलराम भार्गव ने भी कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि पहले जनसंख्या के एक बड़े पैमाने पर टीकाकरण करके वायरस की श्रृंखला को तोड़ा जाए।
उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य वायरस की श्रृंखला को तोड़ना है।
अगर हम थोड़ी आबादी (क्रिटिकल मास) को वैक्सीन लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में कामयाब रहे तो शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत न पड़े।
हालाकि उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीन की प्रभावकारिता एक मुद्दा है, क्योंकि यह कुछ व्यक्तियों पर इसका 60 प्रतिशत प्रभाव हो सकता है जबकि दूसरों में यह 70 प्रतिशत प्रभावकारी भी हो सकती है।
हालांकि भूषण ने कहा कि वैक्सीन के बारे में लोगों के बीच आशंकाओं को दूर करना केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, यह राज्यों और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वे लोगों को दुष्प्रचार से बचाव के लिए वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावशीलता के बारे में शिक्षित करें।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने यह भी बताया कि सरकार टीका प्रशासन के बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार कर रही है, जो अगले दो सप्ताह के भीतर सामने आ सकता है।
भूषण ने कहा, दिशानिर्देशों में वर्णित मुद्दों में से एक टीका सुरक्षा के पहलू से संबंधित है
। हमारा उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि किसी व्यक्ति को और बड़े स्तर पर वैक्सीन लेने का क्या प्रभाव और लाभ होगा।
इस बीच भार्गव ने इस बात पर जोर दिया कि हमें मास्क का उपयोग जारी रखना होगा, क्योंकि यह वायरस की श्रृंखला को तोड़ने में प्रभावी है।