New Delhi : राज्यसभा में मंगलवार को पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर ‘Bangla’ करने की मांग की गई। इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि नया नाम राज्य के इतिहास और संस्कृति को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करेगा।
शून्यकाल के दौरान आल इंडिया तृणमूल Congress की सदस्य Ritabrata Banerjee ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने जुलाई 2018 में सर्वसम्मति से नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया था लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री Mamata Banerjee ने इस बारे में प्रधानमंत्री Narendra Modi को पत्र भी लिखा था।
पत्र में ममता ने कहा था नामांतरण से राज्य के इतिहास, संस्कृति और पहचान के साथ-साथ लोगों की आकांक्षाओं का भी पता चलेगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों के जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए।
राज्य का नाम बदलने की जरूरत
बनर्जी ने कहा कि आज कोई पूर्वी Pakistan नहीं है। हमारे राज्य का नाम बदलने की जरूरत है। West Bengal के लोगों के जनादेश का सम्मान किए जाने की जरूरत है। आखिरी बार 2011 में किसी राज्य का नाम बदला गया था, जब उड़ीसा का नाम बदलकर Odisha किया गया था।’
इसी तरह राज्यसभा में बीजू जनता दल (बीजद) के देबाशीष सामंतराय ने महानदी तट पर हर साल मनाए जाने वाले त्योहार बाली जात्रा को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि एक समय राज्य के नाविक व्यापार और संस्कृति के विस्तार के लिए प्राचीन काल में Indonesia, बोर्नियो और श्रीलंका में बाली, सुमात्रा और जावा जाते थे।
तृणमूल कांग्रेस की Mamata Thakur ने गंगासागर मेले के पौराणिक महत्व को रेखांकित करते हुए इसे राष्ट्रीय मेले का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई। Mahakumbh में भगदड़ की घटना का जिक्र कर उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की घटना गंगासागर में हुई होती तो अब तक केंद्र सरकार की कई टीमें बंगाल पहुंच गई होतीं। भाजपा के के लक्ष्मण ने भगवान ऋषभदेव की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाने की मांग की।