कोलकाता : केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह के 30 जनवरी से शुरू हो रहे दो दिवसीय दौरे के दौरान तृणमूल कांग्रेस में टूट को रोकने के लिए पार्टी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद मैदान में उतर चुकी हैं।
शायद इसीलिए शाह के दौरे से ठीक एक दिन पहले 29 जनवरी को ममता बनर्जी ने कालीघाट स्थित अपने आवास पर सभी विधायकों और सांसदों को आपातकालीन तौर पर तलब किया है।
केवल दो दिनों के शॉर्ट नोटिस पर सभी सांसदों और विधायकों को राज्य भर से ममता के आवास पर पहुंचने का तृणमूल कांग्रेस का फरमान जनप्रतिनिधियों का मन टटोलने की ममता बनर्जी की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
दरअसल इसके पहले जब केंद्रीय गृह मंत्री आए थे तब ममता कैबिनेट में पूर्व परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी जैसे कद्दावर नेता 11 विधायकों, एक सांसद, एक पूर्व सांसद और 83 अन्य नेताओं के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे।
उसके बाद राज्यभर में ममता बनर्जी की पार्टी कमजोर होती चली गई है और पार्टी के कई अन्य विधायकों सांसदों और जमीनी स्तर के नेताओं ने बगावती तेवर अख्तियार किया है।
बंगाल भाजपा के सूत्रों ने बताया है कि अमित शाह के दौरे के दौरान तृणमूल कांग्रेस के दर्जन भर से अधिक नेता भाजपा की सदस्यता लेंगे जिसमें कुछ विधायक, सांसद और अन्य जनप्रतिनिधि हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले लगातार पार्टी में मची इस टूट को रोकने के लिए ही ममता ने आगामी 29 जनवरी को आपातकालीन बैठक बुलाई है जिसमें सभी विधायकों और सांसदों को हाजिर होने को कहा गया है।
माना जा रहा है कि इसमें जो भी विधायक अथवा सांसद शामिल नहीं होंगे उनका भाजपा में जाना तय माना जाएगा। कुल मिलाकर कहें तो शाह के दौरे पर पार्टी में संभावित टूट रोकने के लिए ही ममता ने यह पहल की है।
हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि ममता की यह पहल कितनी कारगर होती है। स्वाभाविक रूप से, राज्य की राजनीति शाह की यात्रा के आसपास घूम रही है।
उत्तरपाड़ा के विधायक प्रबीर घोषाल ने मंगलवार को पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया है। नादिया के जिला उपाध्यक्ष पार्थसारथी चटर्जी को कथित तौर पर भाजपा से संबंध रखने के कारण पद से हटा दिया गया है।
बाली से तृणमूल कांग्रेस ने विधायक वैशाली डालमिया को पार्टी से निकाला है। मंत्री राजीव बनर्जी और लक्ष्मी रतन शुक्ला ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। मूल रूप से इन नेताओं पर लोगों की नजर रहेगी।