आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही थी तब बुधु भगत ने की थी आंदोलन की शुरुआत: रामेश्वर उरांव

Central Desk

रांची: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री रामेश्वर उरांव ने बुधवार को रांची के चान्हो प्रखंड स्थित सिलागाई गांव पहुंच कर अमर शहीद वीर बुधु भगत को श्रद्धांजलि दी।

साथ ही द्वीप प्रज्वलित कर दो दिवसीय मेले का विधिवत उद्घाटन किया। मौके पर विधायक बंधु तिर्की और आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. दिवाकर मिंज भी उपस्थित थे।

दो दिन तक चलने वाले वीर बुधु भगत की जयंती समारोह में हजारों ग्रामीण आज इकट्ठे होते हैं एवं वीर बुधु भगत को याद करते हैं। कोरोना संक्रमण के कारण सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुए लोगों ने जयंती समारोह में शिरकत किया।

मौके पर रामेश्वर उरांव ने कहा वीर बुधु भगत ने 1832 में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लरका विद्रोह आंदोलन की शुरुआत की थी, जब यहां के आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही थी।

जमींदारों को बाहर से बसाया जा रहा था, तब हमारे पुरखों ने वीर बुधु भगत के नेतृत्व में जमीन बचाने के लिए संघर्ष किया।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने ग्रामीणों से कहा कि मछली खियाबे तो खियाबे, डह नीं बताबे, यानी अतिथियों को मछली जरूर खिलाये,आदर दें,सम्मान दें, लेकिन किस तालाब से मछली लाये है, यह न बताएं।

उरांव ने कहा कि 1832 में लरका विद्रोह के नायक रहे शहीद वीर बुधु भगत ने जनजातीय समाज में नयी चेतना भरने का काम किया था।

उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन में जमींनदारों को बसाने की कोशिश शुरू हुई, तो वीर बुधु भगत के नेतृत्व में इलाके में आंदोलन की शुरुआत हुई, इसे कोल विद्रोह के रूप में भी जाना जाता है।

उन्होंने कहा कि वीर बुधु भगत को इतिहास में वह जगह नहीं मिली, जिसके वे वास्तविक हकदार थे। वीर बुधु भगत अपने दो वीर पुत्रों हलधर और गिरधर तथा दो बेटियां रूनकी और झुनकी के साथ अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद गति को प्राप्त किया था।

गठबंधन सरकार अपने हर वायदे को पूरा करने में जुटी है।

मनरेगा की मजदूरी तरह बढ़ाकर 250 रुपये कर दिया गया है, इसका लाभ अप्रैल महीने से मिलने लगेगा, जबकि विधवा पेंशन वृद्धा पेंशन, दिव्यांग पेंशन और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि को भी बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया है।

पेंशन राशि बढ़ाने से लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।

विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि वीर बुधु भगत एक कुशल संगठनकर्ता थे और उन्होंने इस पूरे इलाके में आदिवासी समाज को एकत्रित कर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया।