नई दिल्ली: सूरत (Surat) की सेशन्स कोर्ट (Sessions Court) से राहत ना मिलने के बाद अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मोदी उपनाम को लेकर गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) का दरवाजा खटखटाया है।
गुजरात हाईकोर्ट में राहुल गांधी की ओर से याचिका दर्ज करते हुए एडवोकेट पंकज चंपानेरी (Advocate Pankaj Champaneri) ने इस मामले की अर्जेंट सुनवाई के लिए अनुरोध किया।
इसे जस्टिस गीता गोपी (Justice Geeta Gopi) ने अनुमति दी लेकिन मामले की सुनवाई को लेकर जस्टिस गीता गोपी की और से कहा गया Not Before Me।
कौन हैं जस्टिस गीता गोपी
जस्टिस गीता गोपी पिछले 3 साल से बतौर Gujarat High Court में जज के तौर पर कार्यरत हैं।
जस्टिस गीता गोपी को Gujarat High Court में 04 मार्च को नियुक्त किया गया था।
गीता गोपी को जितनी पढ़ाई में रुचि है, उतनी ही पढ़ाने में भी है।
उन्होंतने जिस नवसारी की दिऩशॉ डब्बू लॉ कॉलेज (Dinshaw Dabboo Law College) से पढ़ाई की थी, वहीं पर 13 साल तक वो पार्ट टाईम पढ़ाने के लिए भी जाती थी।
गीता गोपी ने कॉमर्स में किया ग्रेजुएशन
1966 में गुजरात की नवसारी में जन्मी जस्टिस गीता गोपी ने कॉमर्स (Commerce) में Graduation किया है। सूरत की सर केपी कॉमर्स से पढ़ाई की है।
जिस के बाद नवसारी की Dinshaw Dabboo Law College से क़ानून की शिक्षा हासिल की है।
गुजरात हाईकोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक जस्टिस गीता गोपी ने 1993 में नवसारी के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरु की थी।
क्यों कहा Not Before Me
कानून के जानकार मानते हैं कि कई बार जज Not Before Me कह देते हैं।
इसकी वजह यह होती है कि वो या तो ऐसे हाईप्रोफ़ाइल मामले (High Profile Cases) में पड़ना नहीं चाहते, या फिर कई बार विचारधारा के चलते भी ऐसा होता है।
कई केस में ऐसा तब होता है जब जज जिसके खिलाफ मामला है, उसके वकील रहे होते हैं।