अशोक स्तंभ के मूल स्वरूप को लेकर क्यों सरगर्म हुई सियासत? जानिए वजह

Central Desk

नई दिल्ली : संसद के नए भवन पर लगाए गए राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ (National Emblem Ashoka Pillar) में शेरों के हाव-भाव (मुद्रा) पर मंगलवार को सियासत गरमा गई।

विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार ने मोहक और राजसी शान वाले शेरों की जगह उग्र शेरों का चित्रण किया है।

ये अपने वास्तविक लुक (Real Look) की तुलना में क्रूर दिख रहे हैं। इस पर भाजपा ने जवाब दिया कि प्रतीक चिह्न में बदलाव नहीं किया गया है। विपक्ष को सरकार के हर काम में खामी नजर आती है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाया

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि सारनाथ में अशोक स्तंभ पर शेरों को पूरी तरह से बदलना भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान है। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury) ने ट्वीट किया, प्रधानमंत्री जी कृपया शेर का चेहरा देखिए। यह गिर के शेर का बिगड़ा हुआ स्वरूप है।

इतिहासकार एस इरफान हबीब ने भी आपत्ति जताई

इतिहासकार एस इरफान हबीब (Historian S Irfan Habib) ने भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के साथ छेड़छाड़ पूरी तरह अनावश्यक है।

इससे बचा जाना चाहिए। हमारे शेर अति क्रूर और बेचैनी से भरे क्यों दिख रहे हैं। ये अशोक की लाट के शेर हैं, जिसे 1950 में स्वतंत्र भारत में अपनाया गया था।

 

सरकार से सहमत एएसआई के पूर्व एडीजी बीआर मणि

ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeological Survey of India) के पूर्व एडीजी बीआर मणि ने कहा कि 1905 में बनाए गए अशोक स्तंभ को भारत के संसद भवन के ऊपर स्थापित करने के लिए कॉपी किया गया है।

मूल स्तंभ 7-8 फीट है, जबकि नया बनाया गया स्तंभ लगभग 21 फीट है। आकार बड़ा होने के कारण अशोक स्तंभ के शेर में अंतर दिख रहा है।