रांची: झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र (Jharkhand Assembly Winter Sesion) 19 दिसंबर से 23 दिसंबर तक होगा। राज्यपाल (Governor) ने इसकी मंजूरी दे दी है। साथ ही मानसून सत्र के सत्रावसान की भी अनुमति मिल गयी है।
मानसून सत्र को दो बार विस्तार दिया गया था। पांच सितंबर और 11 नवंबर को दो विशेष सत्र बुलाए गए थे। इसमें 1932 के खतियान और ओबीसी आरक्षण (Khatian and OBC Reservation) के विधेयक को मंजूरी दी गयी थी।
पिछला मानसून सत्र (Monsoon Session) काफी हंगामेदार रहा था और शीतकालीन सत्र के भी हंगामेदार होने के आसार हैं। हाल के दिनों कई ऐसे मुद्दे चर्चा में रहे जिसपर विपक्ष सत्ता को घेरने का प्रयास करेगा।
सरकार को पटरी पर लाने के लिए सदन में विपक्ष कोई कसर नहीं छोड़ेगी
इसमें मुख्य रूप से साहिबगंज में हुए अवैध खनन घोटाले में ED की कार्रवाई को विपक्ष प्रमुख मुद्दा बनाएगा। इसमें एक बार मुख्यमंत्री से पूछताछ हो चुकी है।
इस मामले में कई अधिकारी और नेता भी जेल में हैं। चुनाव आयोग द्वारा जो पत्र राज्यपाल के पास लंबित है, इसे लेकर झारखंड की राजनीति में अभी तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि. इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष केंद्र सरकार (Central government) को निशाने पर लेती रहती है।
राज्य में दुष्कर्म, अपराध, कानून व्यवस्था, शराब नीति, बिजली की लचर स्थिति जैसे मुद्दे सदन में गूंजेंगे। सत्र में विपक्ष की रणनीति पर भाजपा के मुख्य सचेतक विरंची नारायण ने कहा कि 18 दिसंबर को विधायक दल की बैठक में रणनीति तैयार होगी लेकिन बेपटरी हो चुकी सरकार को पटरी पर लाने के लिए सदन में विपक्ष कोई कसर नहीं छोड़ेगी। अगर सदन में हंगामा होता है तो इसके लिए खुद सरकार जिम्मेदार होगी।
जांच एजेंसी कर रही है अपना काम
सत्ता पक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि विपक्ष का आक्रामक होना दर्शाता है कि इनके पास कोई मुद्दा नहीं है।
हम तो विपक्ष को आमंत्रित करते हैं कि सर्वदलीय शिष्टमंडल बनाकर 1932 के खतियान और ओबीसी के आरक्षण के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा के स्पीकर से मिलें और इसका नेतृत्व भी विपक्ष ही करे।
सुदिव्य का कहना है कि जांच एजेंसी अपना काम कर रही है और जहां तक बात आरोप की है तो पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास (Raghubar Das) पर भी आरोप है।