Criminal and Procedural Laws: शीतकालीन सत्र (Winter Session) चार दिसंबर से शुरू होने वाला है। और केंद्र सरकार आपराधिक और प्रक्रियात्मक कानूनों (Criminal and Procedural Laws) को बदलने की तैयारी कर रही है। इससे पहले तीन विधेयकों पर संसदीय समिति की रिपोर्ट राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपी गई।
बृज लाल की धनखड़ से मुलाकात
शुक्रवार को गृह मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष बृज लाल ने संसद में धनखड़ से मुलाकात की। उन्होंने उपराष्ट्रपति सचिवालय में धनखड़ को तीनों विधेयकों पर रिपोर्ट सौंपी।
इन अधिनियमों में बदलाव की तैयारी
बता दें कि सरकार ने ब्रिटिश हुकूमत के दौर में बने कानून- भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य कानून में बदलाव की पहल की है।
बीते अगस्त में संसद के मॉनसून सत्र के दौरान गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक पेश किया था। उन्होंने सभापति से विधेयकों में बदलाव की विस्तृत जांच के लिए इसे स्थायी समिति के पास भेजने का आग्रह किया था।
न्याय को प्रधानता
शाह ने आपराधिक न्यायशास्त्र को निर्देशित करने वाले वर्तमान कानूनों को औपनिवेशिक विरासत करार दिया था। ब्रिटिश राज का संदर्भ देते हुए उन्होंने जोर देकर कहा था कि फिलहाल जो कानून लागू हैं, ये सजा पर ध्यान केंद्रित करते हैं जबकि प्रस्तावित कानून न्याय को प्रधानता देते हैं।
वर्तमान कानून, बहुत नरम
इस महीने की शुरुआत में, संसदीय पैनल ने कई संशोधनों की पेशकश की। तीन रिपोर्टों को अपनाया था, लेकिन उनके हिंदी नामों पर कायम रहे, लगभग 10 विपक्षी सदस्यों ने असहमति नोट प्रस्तुत किए।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान कानून के बहुत नरम होने की आलोचना के बीच समिति ने लापरवाही के कारण होने वाली मौतों पर और अधिक कठोर दृष्टिकोण अपनाने की सिफारिश की है।
सजा में कमी का प्रस्ताव भी मौजूद
समिति ने लोक सेवकों (Public Servants) को उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने के दोषी लोगों की सजा में कमी का भी प्रस्ताव दिया है। बता दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 353 में अधिकतम दो साल की जेल की सजा का प्रावधान है।
समिति इसे घटाकर एक साल करने की मांग कर रही है। इस कानून का इस्तेमाल अक्सर विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ किया जाता है। समिति के कई सदस्यों का मानना है कि आम प्रदर्शनकारियों के साथ नरमी से पेश आना चाहिए।
अलग-अलग लिंग से जुड़े कानून पर राय
खबरों के मुताबिक समिति ने अन्य सिफारिशों के बीच लिंग-तटस्थ व्यभिचार कानून (Gender-Neutral Adultery Laws) और पुरुषों, महिलाओं और ट्रांसजेंडर लोगों के बीच गैर-सहमति वाले यौन संबंधों के लिए दंडात्मक उपायों का भी समर्थन किया है।