लंदन : वैश्विक इतिहास में पहली बार आने वाले कुछ सालों में हम वैश्विक गर्मी (Global Warming) की वह भयावहता देखेंगे जिसकी अब तक विश्व भर के विज्ञानी और पर्यावरणविद (Scientist and Environmentalist) केवल कल्पना भर ही कर रहे थे।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO ) के अनुसार अगले पांच साल में पहली बार वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने के आसार हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के तहत पूर्व औद्योगिक स्तर (Industrial Grade) की दीर्घकालिक तापमान सीमा 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगी।
अलनीनो का होगा खासा बुरा असर
वर्ष 2027 तक अस्थाई रूप से वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने की 66 प्रतिशत आशंका है। संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन का कहना है कि पर्यावरण के खतरे के निशान तक पहुंचने का संभवत: यह कम खतरनाक दौर होगा। चूंकि वैज्ञानियों ने अलनीनो के कारण अस्थाई रूप से गर्मी के भीषण उफान (Heat Wave) की उम्मीद जताई है।
कोयला, तेल और गैस जलाने की सभी सीमाएं पार
कोयला, तेल और गैस जलाने की सभी सीमाएं पार करने से मानवजनित Global warming के चलते अलनीनो (AL Nino) का इतना बुरा असर होगा।
2015 के पेरिस पर्यावरण समझौते मं 1.5 डिग्री सेल्सियस के वैश्विक तापमान को वातावरण की चेतावनी (Atmospheric Warning) की वैश्विक सीमा निर्धारित किया गया था। यानी इस तापमान के लक्ष्य को पहुंचने में देरी करना और दो डिग्री वैश्विक तापमान बढ़ने की आशंका को टालना था।
भीषण और भयावह तरीके से होंगी अधिक मौतें
हालांकि बहुत से देश अभी भी इस वैश्विक तापमान (Global Temperature) से बचने के काफी जतन कर रहे हैं। लेकिन विज्ञानियों ने संयुक्त राष्ट्र की 2018 की विशेष रिपोर्ट में कहा है कि इस स्थिति में भी बेहतर करने पर भी भीषण और भयावह तरीके से अधिक मौतें होंगी।
वैश्विक इकोसिस्टम (Global Ecosystem) को हानि होगी या वह नष्ट हो जाएगा। WMO के महासचिव पेट्टरी टलास ने एक बयान में कहा कि इस रिपोर्ट का यह मतलब नहीं है कि हम स्थाई रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस के वैश्विक तापमान की बढ़त ले लेंगे। जबकि पेरिस समझौते में बताए गए वैश्विक तापमान का अर्थ है कि यह बढ़ोतरी स्थाई होगी और लगातार बहुत सालों तक रहेगी।
डब्ल्यूएमओ ने बजा दी खतरे की घंटी
हालांकि WMO ने अपनी रिपोर्ट में खतरे की घंटी बजा दी है। इससे 1.5 डिग्री से. तापमान अस्थाई रूप तक पहुंचेगा लेकिन आने वाले समय में यह तेजी से बढ़ता जाएगा।
एक साल में इससे कुछ नहीं होने वाला क्योंकि विज्ञानी आमतौर पर इसतरह के बदलाव के लिए औसतन तीस साल का समय मानते हैं। WMO की यह रिपोर्ट विश्व के 11 विभिन्न क्लाइमेट साइंस सेंटरों (Climate Science Centers) के आकलन पर आधारित है।
2030 से पहले पहुंचने की नहीं थी उम्मीद
एक टेक कंपनी स्ट्राइप एंड बार्केले (Tech Company Stripe & Barclay) अर्थ के पर्यावरण विज्ञानी Jake Hostfather का कहना है कि हमें 1.5 डिग्री से. वैश्विक तापमान 2030 से पहले पहुंचने की उम्मीद नहीं है।
लेकिन हरेक साल 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के करीब पहुंचना भी बहुत बड़ी समस्या है। La Nina से Al Nino में शिफ्ट होने की स्थिति में जहां पहले बाढ़ आती थी वहां सूखा पड़ेगा। जहां सूखा पड़ता था, वहां बाढ़ आ सकती है।