झारखंड : आशियाना की आस लगाए बैठी महिला को अभी तक नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ

Central Desk

गोड्डा: जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर मेहरमा प्रखंड के धनकुड़िया पंचायत के एक गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को पक्के की छत बनाने का दावा सिर्फ कागजों में ही है। सच तो यह है कि अभी भी त्रिपाल के नीचे पूरे परिवार रहने को मजबूर हैं।

कड़ाके की ठंड में त्रिपाल में रहने को मजबूर

भैरोनगर में एक परिवार ऐसा है जो दशकों से प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए भटक रहा है। इनके पास रहने को छत नहीं है। बारिश की बूंदे, कड़ाके की ठंड किसी कहर से कम नहीं है। कुछ ऐसे ही दर्द के साथ मेहरमा प्रखंड के भैरोनगर में एक परिवार गुजर बसर कर रहा है। शासन – प्रशासन की नजर में इनकी जिंदगी की कोई कीमत नहीं है, ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इनके परिवार के हालात कह रहे हैं। पूरे परिवार कड़ाके की ठंड में त्रिपाल में रहने को मजबूर है।

‘आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला’

रानी देवी कहती हैं कई बार नेता, विधायक, पंचायत के प्रतिनिधि तक को भी कहा है, लेकिन आश्वासन के सिवाय आज तक आशियाना नहीं मिला। रानी देवी कहती हैं मेरे घर में एक ही कमाने वाला है और हमारा पांच लोगों का परिवार। किसी तरह इस झोपड़ी में रह कर गुजर-बसर कर रहे हैं। अब इनके लिए बारिश का सीजन, कड़ाके की ठंड, इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है।

शासन-प्रशासन तक गुहार लगा चुकी है महिला

रानी देवी कहती हैं आशियाना तो हमें नहीं मिल सका लेकिन सरकार की ओर से मिलने वाली शौचालय उज्जवला गैस योजना जरूर मिला है महिला कहती है हम कह रहे थे पहले हमको आवास दीजिए इसके बाद हमें शौचालय दीजिएगा, लेकिन आश्वासन दिया पहले शौचालय लीजिए इसके बाद आवास भी दे देंगे। लेकिन आज तक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल।