मध्यप्रदेश: देश में समलैंगिक शादियों (Gay Weddings) को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय में विचार के बीच इंदौर में बृहस्पतिवार शाम अलग-अलग तबके की महिलाएं जिलाधिकारी कार्यालय में बड़ी तादाद में जुटीं और इस तरह के विवाहों का विरोध किया।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि समलैंगिक शादियों को कानूनी दर्जा दिए जाने से न केवल सामाजिक व्यवस्था (Social System) पर कुठाराघात होगा, बल्कि कई किस्म की कानूनी जटिलताएं भी उत्पन्न हो जाएंगी।
प्रदर्शनकारियों ने समलैंगिक शादियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के नाम संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी डॉ. इलैयाराजा टी. को सौंपा।इस ज्ञापन में समलैंगिक शादियों पर आपत्ति जताई गई है।
अनुष्का भार्गव ने कहा…
प्रदर्शन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता माला सिंह ठाकुर (Mala Singh Thakur) ने संवाददाताओं से कहा,‘‘हम सब महिलाओं का आग्रह है कि समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के लिए कोई भी प्रावधान नहीं किया जाना चाहिए। अगर इन शादियों को कानूनी मान्यता मिल गई, तो यह देश के समाज, संस्कृति और परिवार व्यवस्था पर प्रहार होगा।’’
इस दौरान अधिवक्ता अनुष्का भार्गव ने कहा कि अगर विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता प्रदान की गई, तो ऐसे कानूनों में भी बदलाव करने होंगे जो महिलाओं के हितों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
महिलाओं के प्रदर्शन के आह्वान के लिए सोशल मीडिया पर संदेश प्रसारित किए गए
उन्होंने पूछा, ‘‘अगर आपस में शादी करने वाली दो महिलाओं के बीच पारिवारिक विवाद होता है, तो इनमें से किस महिला के हितों को कानूनी सुरक्षा (Legal Protection) दी जाएगी। अगर यह जोड़ा शादी के बाद किसी बच्चे को गोद लेता है, तो उस बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा।”
समलैंगिक शादियों (Gay Weddings) को कानूनी मान्यता दिए जाने की सोच के खिलाफ महिलाओं के प्रदर्शन (Women’s Performance) के आह्वान के लिए सोशल मीडिया पर संदेश प्रसारित किए गए थे। इस संदेश में निवेदक के रूप में “आप और हम” लिखा था।