Yemen Supreme Court : यमन की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने एक भारतीय नागरिक को फांसी की सजा सुनाई है। बीते 13 नवंबर को मलयाली नर्स निमिषा प्रिया (Nurse Nimisha Priya) की उस अपील भी को खारिज कर दिया गया, जिसमें राहत की मांग की गई थी।
अब अंतिम निर्णय वहां के राष्ट्रपति को लेना है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट को इसकी जानकारी दी है। केंद्र की तरफ से यह जवाब निमिषा की मां द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया है।
बता दें कि याचिका में पीड़ित परिवार यमन की यात्रा करने की अनुमति मांग रहा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को याचिकाकर्ता के आवेदन पर एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद (Subramaniam Prasad) ने यह आदेश दिया है। केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि हालिया अधिसूचना के अनुसार यमन की यात्रा पर प्रतिबंध में ढील दी जा सकती है। भारतीय नागरिकों को विशिष्ट कारणों और तय समय के लिए यात्रा करने की अनुमति दी जा सकती है।
नर्स की मां ने भारतीय नागरिकों के लिए विदेश यात्रा पर प्रतिबंध के बावजूद यमन की यात्रा की अनुमति मांगी है। उनका कहना है कि उनकी बेटी को फांसी से बचाने का एकमात्र तरीका मृतक के परिवार के साथ ब्लड मनी का भुगतान करके बातचीत करना है। इसके लिए उसे यमन की यात्रा करनी होगी।
हालांकि, भारतीय नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध के कारण वह ऐसा करने में असमर्थ थी। 7 मार्च 2022 को यमन की एक अदालत ने निमिषा प्रिया द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। 2017 में तलाल अब्दो महदी की हत्या के लिए नर्स को मौत की सजा सुनाई गई थी।
क्यों मिली सजा?
आरोप है कि निमिषा का पासपोर्ट तलाल अब्दो महदी के पास था। उसे वापस पाने के लिए नर्स ने उसे नशे वाला इंजेक्शन दिया। निमिषा को महदी ने कथित तौर पर दुर्व्यवहार और यातना दी थी।
पिछले साल एक पीठ ने याचिका पर फैसला सुनाया, जिसमें पीड़ित परिवार के साथ बातचीत की सुविधा देने और यमन कानून के अनुसार ब्लड मनी का भुगतान करके प्रिया को मृत्युदंड (Death Penalty) से बचाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। हालांकि, बाद में एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील को एक खंडपीठ ने खारिज कर दिया।