लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का शिक्षा की समग्रता को लेकर खासा जोर है। वह शिक्षा को सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित रखने की बजाय विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के समग्र विकास का जरिया बनाना चाहती है।
इसी कारण पाठ्यक्रम को डिजिटल से लेकर राष्ट्रप्रेम का जज्बा-जुनून पैदा करने के लिए जंगे आजादी के नायकों की गाथा भी शामिल होगी।
यही वजह है कि योगी सरकार-2 का जोर इस बार भी शिक्षा को लेकर समग्रता में है। ऐसी शिक्षा जो जमाने के अनुसार हो।
इस शिक्षा पाने वाला विद्यार्थी सिर्फ रोजगार का याचक न हो। जो शिक्षा उसे मिली है उसके जरिये वह जीवन के जिस भी क्षेत्र में जाए उसमें उसकी प्रभावी छाप दिख जाए।
लोककल्याण संकल्पपत्र-2022 में भाजपा ने इस तरह की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता भी जतायी है। अब सरकार अगले पांच साल तक पूरी प्रतिबद्धता से इसे अमली जामा पहनाने को कृतसंकल्पित है। स्वाभाविक रूप से इसकी शुरुआत प्राथमिक शिक्षा से होगी।
बचे प्राथमिक स्कूलों का कायाकल्प होगा। इस क्रम में योगी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान जिन प्राथमिक स्कूलों का कायाकल्प नहीं हो सका था उनको ऑपरेशन कायाकल्प के जरिए स्मार्ट स्कूलों के रूप में विकसित किया जाएगा।
माध्यमिक विद्यालयों की बेहतरी के लिए सरकार 30 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके तहत सभी माध्यमिक विद्यालयों में ऑडियो-वीडियो प्रोजेक्टर के लैश स्मार्ट क्लास, एक सम्पन्न लाइब्रेरी, कंप्यूटर एवं साइंस लैब और आर्ट रूम बनाए जाएंगे। इनको वाई-फाई से भी जोड़ा जाएगा। प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों से शुरू यह सिलसिला हायर एजुकेशन तक जाएगा।
इस शिक्षा में देश के अतीत का गौरवबोध कराने के लिए महापुरुषों की जीवनी होगी तो देश को आजाद कराने के लिए हंसते-हंसते अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले जंगे आजादी के सपूतों की वीरगाथा भी होगी।
मसलन अगर पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से और विस्तार पूर्वक महाराणा प्रताप की जीवनी होगी तो इसे पढ़ने वालों से यह उम्मीद की जाएगी कि बेहद विपरीत परिस्थितियों में बह उनके भीतर देश के लिए वही जोश, जज्जबा और जुनून हो जो महाराणा प्रताप में था।
इसी तरह जंगे आजादी के सपूतों से उनको यह जानेंगे कि देश को यह आजादी अंग्रेजों से प्लेट में रखकर नहीं दे दी थी।
इस दौर में डिजिटल ज्ञान के बिना शिक्षा अधूरी है। इसके लिए योगी सरकार-2 लखनऊ एवं नोएडा में डिजिटल एकेडमी की स्थापना करेगी।
शिक्षा पाने वाले सिर्फ सरकारी के याचक न बनें बल्कि खुद का रोजगार स्थापित कर बाकी लोंगों को भी रोजगार देने की स्थिति में हों इसके लिए व्यावसायिक शिक्षा पर भी बराबर का जोर होगा।
इसके लिए सरकार शीघ्र ही 2500 करोड़ रुपये की लागत से युवाओं को व्यावसायिक शिक्षा देने के लिए हर ब्लॉक में आईटीआई की स्थापना करेगी।
एक मंडल, एक विश्वविद्यालय पर सरकार काम करेगी ,ताकि शिक्षा सबके लिए सुलभ हो। इसके लिए संसाधन खर्च करके दूर न जाना पड़े इसके लिए सरकार एक मंडल एक विष्वविद्यालय योजना पर भी काम शुरू करेगी। इस पर काम भी शुरू हो चुका है।
अलीगढ़ में राजा महेंद्र सिंह विश्वविद्यालय, आजमगढ़ में महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय, लखनऊ में इंस्टीट्यूट ऑफ पुलिस एंड फॉरेंसिक साइंस, अयोध्या में आयुर्वेद के लिए आयुष शैक्षणिक संस्थान, गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरक्षनाथ आयुष विश्वविद्यालय, प्रयागराज में नेशनल लॉ कॉलेज, मेरठ में मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे यही मकसद है। इनमें से कुछ संचालित हैं। कुछ पर काम चल रहा है और कुछ पाइपलाइन में हैं।
डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित कहते हैं शिक्षा के जो पढ़ाने के तरीके है पब्लिक, निजी, परंपरागत दूरस्थ इनकी एकग्रता पहला इश्यू है।
जब सभी में एकेडमिक क्रेडिट बैंक बना दिया गया है। तो क्रेडिट बैंक में क्रेडिट ट्रान्सफर का सिस्टम डेवलप होना अत्यन्त आवश्यक है। यह काम किया जा रहा है।
लेकिन अभी काम बचा है। चारो मोड्स में पारदर्शिता बनाए जाने की जरूरत है। तब किसी भी मोड्स से कमाया किया जा सकता है।
इसके अलावा जो जानबूझकर छिन्न-भिन्न इतिहास पढ़ाया गया है उसे सम्पूर्ण करना है। हमारे जो अच्छा समय रहा उसे शामिल नहीं किया गया है।
उसे जनना बहुत जरूरी है। इसे पाठ्यक्रम में मात्र डाल लेना ठीक नहीं है। बड़ा उद्देश्य यह है कि इसे आगे बढ़ाना है। अपने सम्पूर्ण इतिहास पर गर्व हो। आत्म सम्मान बढ़ेगा। तभी आत्मनिर्भरता आएगी।