नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने युवाओं से विकास की प्रक्रिया में शामिल होने और एक नए भारत के निर्माण के लिए रचनात्मक गतिविधियों के लिए अपनी ऊर्जा को दिशा देने का आग्रह किया।
उपराष्ट्रपति ने सोमवार को हैदराबाद विश्वविद्यालय में एक नए ‘सुविधा केंद्र’ का उद्घाटन करते हुए युवाओं को नकारात्मकता से दूर रहने और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ एक ऐसे नये भारत के निर्माण में संलग्न होने की सलाह दी जहां भ्रष्टाचार, भूख, शोषण और भेदभाव नहीं होगा।
उन्होंने राष्ट्र के एक महत्वपूर्ण मोड़ से गुजरने और कई चुनौतियों का सामना करने का जिक्र करते हुए कहा कि युवाओं को हर मोर्चे पर भारत को मजबूत बनाने में सबसे आगे रहना चाहिए।
वेंकैया ने युवाओं से आग्रह किया कि वे निरक्षरता को खत्म करने, बीमारियों का मुकाबला करने, कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने, किसी भी रूप में भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने, महिलाओं पर अत्याचार और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए पथ प्रदर्शक की भूमिका में आएं।
मूल्यों में आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने युवाओं से अनुरोध किया कि वह देश की पुरातन सभ्यता के मूल्यों और लोकाचारों का अनुसरण करें। उन्होंने युवाओं से कोरोना महामारी और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए नयी सोच और उपायों के साथ आगे आने को कहा।
समग्र शिक्षा को विकास और लोगों के जीवन में बदलाव का आधार बताते हुए उपराष्ट्रपति ने 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधारों की वकालत की लेकिन इसके साथ भारतीय परंपराओं, संस्कृति और लोकाचारों को भी सहेज कर रखने का आह्वान किया।
विश्व के शीर्ष 200 शिक्षा संस्थानों में भारत के कुछ ही शिक्षण संस्थाओं को जगह मिलने पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए नायडू ने कहा कि देश के बहु-विषयक विश्वविद्यालयों को अपनी कमर कसनी चाहिए और सर्वश्रेष्ठ में से एक होने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसके लिए शिक्षा संस्थानों को नवीन अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा देने, अनुसंधान समूह स्थापित करने और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
विश्वविद्यालयों से अत्याधुनिक अनुसंधान का केंद्र बनने का आग्रह करते हुए, उन्होंने उन्हें उद्योग जगत के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने की सलाह दी। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि नई शिक्षा नीति देश में अनुसंधान की देख-रेख के लिए एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का प्रस्ताव करती है।
नायडू ने प्रसन्नता व्यक्त की कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती है, बल्कि चरित्र निर्माण, वैज्ञानिक सोच को विकसित करने, रचनात्मकता को बढ़ावा देने, सेवा की भावना को बढ़ावा देने और छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने की क्षमताओं से लैस करती है।
उन्होंने कहा कि एनईपी अपने आप में व्यापक और समग्र है।
कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस मामले में भारत का प्रदर्शन अन्य देशों की तुलना में बेहतर रहा है। उन्होंने डॉक्टरों, किसानों, सुरक्षा कर्मियों, सेनेटरी कर्मचारियों जैसे फ्रंटलाइन योद्धाओं द्वारा प्रदान की गई निस्वार्थ सेवा की सराहना की और महामारी से लड़ने के लिए किए गए उपायों के लिए भारत सरकार और सभी राज्यों की सराहना की।
इस अवसर पर तेलंगाना के गृहमंत्री मोहम्मद महमूद अली, न्यायमूर्ति एल. नरसिम्हा रेड्डी, विश्वविद्यालय के कुलपति और विभिन्न संकायों के प्रमुख और गणमान्य लोग उपस्थित थे।