नई दिल्ली: दिल्ली के विज्ञान भवन में आज सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने अपना 19वां अलंकरण समारोह आयोजित किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय रहे।
उन्होंने सबसे पहले देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले बीएसएफ के बहादुर जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बीएसएफ की राष्ट्र की संप्रभुता को बनाए रखने में अह्म भूमिका है।
अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा के साथ-साथ बल आंतरिक सुरक्षा के विभिन्न परिनियोजन परिदृश्यों को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित करता है। इस दौरान कुल 42 जवानों को पदकों से अलंकृत किया गया, जिसमें 16 को वीरता के लिए पुलिस पदक (PMG) और 26 को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक (PMMS) से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर बीएसएफ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह ने सबसे पहले कर्तव्य की वेदी पर मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले बल के शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने रणनीति, बुनियादी ढांचे, हथियार और प्रशिक्षण के मामले में खुद को तैयार करने में बल के निरंतर प्रयास पर जोर दिया। महानिदेशक ने पहले पूर्व महानिदेशक रुस्तमजी के ‘सैनिक गुणों और दूरदर्शी नेतृत्व कौशल’ के बारे में भी बताया, जिन्हें लोकप्रिय रूप से “बीएसएफ के संस्थापक पिता” के रूप में जाना जाता है।
कौन है पद्म विभूषण के एफ रुस्तमजी
के एफ रुस्तमजी “बीएसएफ के संस्थापक पिता” के रूप में प्रसिद्ध और आधुनिक भारत के सबसे प्रसिद्ध पुलिस अधिकारियों में से एक हैं। पहले महानिदेशक पद्म विभूषण के एफ रुस्तमजी (Padma Vibhushan K F Rustamji) की याद में 2003 से बीएसएफ अलंकरण समारोह मनाया जा रहा है।
के एफ रुस्तमजी की असाधारण दूरदृष्टि और दृढ़ नेतृत्व ने बीएसएफ को अपने अस्तित्व में ही आकार दिया। उनके करिश्माई व्यक्तित्व ने बाद में बीएसएफ को एक दुर्जेय फाइटिंग फोर्स बनाया।
25 बटालियनों के साथ एक दिसंबर 1965 को स्थापित बीएसएफ में अब 2.65 लाख से अधिक जवान हैं। बल की तीन आपदा प्रबंधन बटालियनों सहित 193 बटालियन हैं।
अपने स्वयं के आर्टिलरी, एयर विंग, वाटर विंग, कैवेलरी और मेडिकल सेटअप द्वारा समर्थित, बीएसएफ पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करता है।
इन वीरों को मिला सम्मन
-16 अक्टूबर 2017 के दिन दीपक कुमार मंडल द्वितीय कमान अधिकारी त्रिपुरा में तैनात बीएसएफ की 145 बटालियन के कार्यकारी कमांडेंट की भूमिका का निर्वहन कर रहे थे।
रात्रि 1. 40 बजे इनको सोनामूरा के नजदीक बीएसएफ की गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना मिली। जिस पर ये आरक्षक बी. चंद्रकांत व आरक्षक प्रेम सिंह को साथ लेकर तुरंत घटनास्थल की ओर रवाना हुए।
इस दौरान दीपक कुमार मंडल की नजर सीमा चौकी ‘बेलारीदप्पा’ के नजदीक गो-तस्करी करते लगभग 25-30 संदिग्ध तस्करों पर पड़ी। उन्होंने तस्करों को ललकारते हुए चुनौती दी।
वहीं साथ में तैनात जवानों को उन्होने तस्करों की धरपकड़ के लिए भेजा। तस्करों ने बेहद उग्र होते हुए दीपक कुमार मंडल पर पत्थरों व तेजधार वाले हथियारों से हमला कर दिया।
वहीं कुछ तस्करों ने स्वयं के घेरे जाने के भय से अचानक दीपक कुमार मंडल को गाड़ी से कुचलने के उद्देश्य से टक्कर मार दी। गंभीर
रूप से घायल हो चुके दीपक कुमार मंडल को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इन्होने 20 अक्टूबर 2017 के दिन अंतिम सांस लेते हुए सर्वोच्च शहादत दी।
इनके अदम्य शौर्य, साहस व राष्ट्र के लिए समर्पित कार्रवाई के लिए भारत सरकार द्वारा इन्हें वर्ष 2020 के गणतंत्र दिवस पर बलिदानोपरांत ‘वीरता के लिये पुलिस पदक’ से सम्मानित किया गया।
-कश्मीर सीमांत मुख्यालय, गोगोलैंड में मुख्यालय के साथ स्थित श्रीनगर एयरफील्ड की सुरक्षा की जिम्मेदारी 182 बटालियन बीएसएफ को दी गई थी।
3 अक्टूबर 2017 को सुबह लगभग 4.10 बजे तीन हथियारबंद आतंकवादियों ने अंधेरे का फायदा उठाते हुए कम ऊंचाई वाली चारदीवारी व कंसर्टिना कॉइल को काटकर परिसर में प्रवेश कर लिया।
उप-महानिरीक्षक सुरजीत सिंह गुलेरिया (Deputy Inspector General Surjit Singh Guleria), सीमांत मुख्यालय, कश्मीर में तैनात थे। हमले की सूचना मिलते ही गुलेरिया घटनास्थल की ओर दौड़े। गुलेरिया ने आतंकवादियों के संभावित स्थानों का पता लगाया।
कार्रवाई के दौरान गुलेरिया बल के परिसर में स्थित प्रशासनिक भवन पहुंचे जहां पर आतंकी ने इनको लक्षित कर अचानक फायरिंग शुरू कर दी।
ऑपरेशन के दौरान गुलेरिया ने अपनी जान की परवाह किए बगैर जिस अनुकरणीय नेतृत्व, साहस और पेशेवर कुशलता का प्रदर्शन किया, उसके मान्यता स्वरूप भारत सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस पर उप-महानिरीक्षक श्री एस.एस. गुलेरिया को ‘वीरता के लिये पुलिस पदक’ से सम्मानित किया गया।