नई दिल्ली: Jammu and Kashmir से आर्टिकल 370 (Article 370) हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली गयी है।
बता दें कि याचिकाओं से IAS शाह फैसल और JNU की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद (Shehla Rashid) ने अपना नाम वापस ले लिया है। दोनों ने अपने वकील के माध्यम से अदालत को बताया कि वह इस मामले में पार्टी नहीं बनना चाहते हैं। इसलिए याचिका से उनके नाम हटा दिए जाएं।
दोनों की मांग को अदालत ने किया स्वीकार
दोनों की मांग को अदालत ने स्वीकार कर लिया और उनके नाम को अर्जी से हटाने का आदेश दिया गया है। सोमवार से ही इस मामले की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई शुरू हुई है।
शीर्ष अदालत ने कहा है कि इस केस को हम अगस्त से प्रतिदिन सुनेंगे। सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर केस की हर दिन सुनवाई की जाएगी।
जम्मू-कश्मीर के नेताओं का केंद्र सरकार पर निशाना
इस बीच मंगलवार को केस की सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर के नेता महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन और उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार (Central government) के जवाब पर निशाना साधा।
तीनों ने कहा कि उसकी बात में कोई दम ही नहीं है। Article 370 हटाने का केस न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
दरअसल सोमवार को केंद्र सरकार ने अदालत में कहा था कि आर्टिकल 370 हटाने से राज्य में अप्रत्याशित विकास (Unexpected Development) हुआ है, शांति कायम हुई है और सामान्य जनजीवन लौट आया है।
केंद्र ने कहा कि Jammu and Kashmir में तीन दशक से चल रही अशांति का दौर इस एक फैसले के साथ ही समाप्त हो गया है।
महबूबा मुफ्ती का ट्वीट
महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने केंद्र सरकार के जवाब पर Tweet किया, ‘आर्टिकल 370 हटाने के खिलाफ दायर अर्जी पर केंद्र सरकार के जवाब में कोई तर्क नहीं है।
बहुमत का इस्तेमाल भारतीय संविधान (Indian Constitution) में छेड़छाड़ के लिए किया गया है, जिसके प्रावधानों से जम्मू-कश्मीर के लोगों को गारंटी मिलती थी।
सरकार ने अपने फैसले से सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों का भी उल्लंघन किया है, जिनमें उसने कहा था कि जम्मू-कश्मीर की विधानसभा (Assembly) की सिफारिश पर ही आर्टिकल 370 को हटाया जा सकता है। अब दबाव से स्थापित की गई शांति का ढोल पीटा जा रहा है।’