कोलकाता: देश के सबसे पुराने कोर्ट कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने 72 साल पुराना केस निपटाया। पूर्ववर्ती बेरहामपुर बैंक की परिसमापन कार्यवाही से संबंधित मामला है।
19 नवंबर 1948 को कलकत्ता हाई कोर्ट में केस दाखिल किया गया था। High Court के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव का जन्म 1951 में हुआ था और यह केस उनके जन्म के एक दशक पहले का है।
इस केस को निटपाने के बाद अभी भी हाई कोर्ट में दो और सबसे पुराने मामले हैं अब उन पर कार्यवाही शुरू होगी। भारत के सबसे पुराने केस (Old Case) को निपटाने के बाद हाई कोर्ट को कुछ राहत मिली है।
अभी भी देश के पांच सबसे पुराने बंगाल कोर्ट के हैं
हालांकि अभी भी देश के पांच सबसे पुराने बंगाल कोर्ट के ही हैं। इनमें से दो कलकत्ता हाई कोर्ट के पास ही हैं। दोनों केस हाई कोर्ट में 1952 में ही दायर किए गए थे।
दो सबसे पुराने केस कोलकाता हाई कोर्ट के पास हैं तो वहीं बाकी के तीन मामले बंगाल की कोर्टों में हैं। 2 केस बंगाल के मालदा की दीवानी अदालतों में चल रहे हैं और एक मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) में लंबित है।
मालदा की अदालतों ने इन मुकदमों को निपटाने की कोशिश करने के लिए मार्च और नवंबर में सुनवाई की है। बेरहामपुर बैंक मामले का उल्लेख राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (National Judicial Data Grid) में 9 जनवरी तक किसी भी भारतीय अदालत में सुना जाने वाला सबसे पुराना मामला है।
न्यायमूर्ति रवि कृष्ण कपूर के पिछले साल 19 सितंबर के निपटारे के आदेश पर हस्ताक्षर किए। आदेश को सील किया गया और उसे टाइपोग्राफ़िकल सुधार के लिए भेजा गया।
केस 19 नवंबर 1948 को कलकत्ता हाई कोर्ट में दाखिल किया गया था। तब कलकत्ता हाई कोर्ट ने दिवालिया और मुकदमेबाजी से ग्रस्त बेरहामपुर बैंक (Berhampur Bank) को बंद करने का आदेश दिया था।
बैंक कर्जदारों से पैसा वसूल करने के लिए कई मुकदमों में उलझा हुआ था
परिसमापन की कार्यवाही को चुनौती देने वाली एक याचिका 1 जनवरी 1951 को दायर की गई थी और उसी दिन मामला संख्या 71/1951 के रूप में दर्ज की गई थी।
रिकॉर्ड बताते हैं कि बेरहामपुर बैंक कर्जदारों से पैसा वसूल करने के लिए कई मुकदमों में उलझा हुआ था। इनमें से कई कर्जदारों ने बंगाल मनी लेंडर्स एक्ट-1940 के तहत बैंक के दावों को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया।
उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार बैंक के परिसमापन को चुनौती देने वाली याचिका पिछले सितंबर में दो बार हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए आई थी लेकिन कोई स्पष्ट रूप से नहीं आया।
इसके बाद जस्टिस कपूर (Kapoor) ने कोर्ट के लिक्विडेटर से रिपोर्ट मांगी। 19 सितंबर को सहायक परिसमापक ने पीठ को बताया कि मामले का अगस्त 2006 में निपटारा कर दिया गया था।
यह पता चला कि इसे रिकॉर्ड में अद्यतन नहीं किया गया था और मामला लंबित सूची में बना रहा। दो दूसरे सबसे पुराने मामलों में से जो अभी भी हाई कोर्ट में लंबित हैं न्यायमूर्ति कपूर ने आखिरी बार 23 अगस्त 2022 को सुनवाई की थी।
उन्होंने एक अधिवक्ता और एक विशेष अधिकारी को निर्देश दिया कि वे सभी पक्षों से मिलें और लंबे समय से चले आ रहे मुकदमे को समाप्त करने के तौर-तरीके सुझाएं।
अन्य 1952 के मामले पर बहुत कम डेटा उपलब्ध है। वादियों के नाम जुगल चंद्र घोष और दुर्गादास गांगुली (Jugal Chandra Ghosh and Durgadas Ganguly) है।