रांची: देवघर में त्रिकुट पर्वत पर दस अप्रैल को हुए रोप-वे हादसे (Ropeway Accident) के 70 दिनों के बाद जांच के लिए राज्य सरकारी की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति मंगलवार को घटनास्थल पर पहुंची। समिति का नेतृत्व वित्त सचिव अजय कुमार सिंह कर रहे थे।
पर्यटन सचिव अमिताभ कौशल, पर्यटन निदेशक राहुल कुमार सिन्हा (Rahul Kumar Sinha) के अलावे डायरेक्टर ऑफ माइंस एंड सेफ्टी रत्नाकर शुंकी और एनसी श्रीवास्तव (एडवाइजर, रोप-वे नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड) भी टीम में शामिल रहे।
10 अप्रैल को रामनवमी (Ram Navami) के दिन हुए हादसे के बाद 19 अप्रैल को राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर जांच कमेटी का गठन किया था।
कमेटी को दो महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। टीम ने अपनी जांच के दौरान रोप-वे संचालन के पूरे रूट को देखा। त्रिकुट पहाड़ पर भी टीम गई।
घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद जांच टीम ने हादसे में फंसे लोगों से बातचीत की। साथ ही कर्मचारियों, रोप-वे संचालित करने वाले एजेंसी के प्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों के भी बयान लिये।
घटनास्थल पर वीडियोग्राफी कराई गयी। कमेटी DC और SP से भी बात करेगी। हादसा किन वजहों से हुआ, कमेटी यह भी बताएगी।
44 घंटे से अधिक समय तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन
रोप-वे के संचालन में बरती गयी लापरवाही, भविष्य के लिये रोप वे का सुरक्षित संचालन के मुद्दे पर भी अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।
देवघर में अगले कुछ दिनों बाद श्रावणी मेला शुरू होना है। अब तक रोप-वे हादसे की जांच का काम पूरा नहीं होने से मेले के दौरान इसके संचालन की उम्मीद नहीं है।
उल्लेखनीय है कि 10 अप्रैल को हुई रोप-वे हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी जबकि 46 टूरिस्टों को सेना, NDRF और स्थानीय लोगों की मदद से 44 घंटे से अधिक समय तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बचाया गया था।
घटना के बाद मृतक के परिजन को पांच-पांच लाख और इसका संचालन करने वाले दामोदर रोप वे इंफ्रा ने 25-25 लाख का मुआवजा दिया था। घटना के चार दिन बाद प्रशासन के निर्देश पर रोप वे संचालन एरिया (operating area) को सील कर दिया गया था।