मॉस्को: सोवियत संघ (Soviet Union) के पूर्व राष्ट्रपति और शीत युद्ध को समाप्त करने वाले मिखाइल गोर्बाचेव का मंगलवार को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे।
उन्होंने 91 साल की आयु में अंतिम सांस ली। रूस की समाचार एजेंसी स्पूतनिक (News agency Sputnik) ने सेंट्रल क्लीनिकल अस्पताल (Central Clinical Hospital) के बयान के हवाले से कहा कि लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।
इसके अलावा कोई अन्य जानकारी नहीं दी गई है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन (President Putin) ने उनके निधन पर दुख जताया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि राष्ट्रपति पुतिन ने बुधवार सुबह गोर्बाचेव के निधन पर दुख जताया। वह उनके परिवार को शोक संदेश भी भेजेंगे।
ग्लासनोस्ट की नीति को मान्यता दी थी
मिखाइल गोर्बाचेव यूनाइटेड यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (Mikhail Gorbachev United Union of Soviet Socialist Republic) के अंतिम नेता थे।
वह नागरिकों को स्वतंत्रता देकर लोकतांत्रिक सिद्धांतों की तर्ज पर कम्युनिस्ट शासन (Communist Regime) में सुधार करना चाहते थे। 1989 में जब साम्यवादी पूर्वी यूरोप के सोवियत संघ में लोकतंत्र समर्थक विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए थे, तब भी गोर्बाचेव ने बल प्रयोग करने से परहेज किया था।
उन्होंने ग्लासनोस्ट की नीति को मान्यता दी थी। गोर्बाचेव ने पेरेस्त्रोइका नामक आर्थिक सुधार का कार्यक्रम भी शुरू किया था। उनके समय में प्रेस और कलात्मक समुदाय को सांस्कृतिक स्वतंत्रता दी गई थी।
उन्होंने सरकारी तंत्र पर पार्टी के नियंत्रण को कम करने के लिए आमूलचूल सुधारों की शुरुआत की थी। हजारों राजनीतिक कैदियों और असंतुष्टों को रिहा करवाया था।
उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण समझौते की सफलता के लिए भी जाना जाता है। राष्ट्रपति पद से हटने के बाद गोर्बाचेव को दुनियाभर में कई अवार्ड्स और सम्मान मिले। उन्हें 1990 में नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला।
The New York Times के अनुसार
द न्यूयॉर्क टाइम्स (The New York Times) के अनुसार गोर्बाचेव के सत्ता में पहले पांच साल महत्वपूर्ण उपलब्धियों से भरे थे।
उन्होंने अमेरिका के साथ एक हथियार समझौते की अध्यक्षता की जिसने पहली बार परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons) के एक पूरे वर्ग को समाप्त कर दिया था और पूर्वी यूरोप से अधिकांश सोवियत सामरिक परमाणु हथियारों (Soviet Tactical nuclear weapons) की वापसी शुरू कर दी थी।
अमेरिकी मीडिया आउटलेट के अनुसार, उन्होंने अफगानिस्तान से सोवियत सेना को वापस बुला लिया था। उनके द्वारा ऐसा करना एक मौन स्वीकृति थी कि अफगानिस्तान पर 1979 में आक्रमण और नौ साल का कब्जा विफल रहा था।
गोर्बाचेव का जन्म दो मार्च 1931 को एक गरीब परिवार में हुआ था। वह स्टालिन के राज में पले-बढ़े और बड़े हुए। उन्होंने कानून की पढ़ाई की थी। वह सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति (1990-91) थे।
इससे पहले वह 1985 से 1991 तक सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव थे। 1988 से 1989 तक वह सुप्रीम सोवियत के प्रेसिडियम के अध्यक्ष रहे। 1988 से 1991 तक वह स्टेट कंट्री प्रमुख रहे। 1989 से 1990 तक उन्होंने सुप्रीम सोवियत के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
सोवियत संघ टूटने के बाद गोर्बाचेव को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि उन्होंने कई बार कहा कि वो बिल्कुल नहीं चाहते थे कि सोवियत संघ का विघटन हो।
सोवियत संघ टूटने के बाद गोर्बाचेव ने रूस में फिर चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा राष्ट्रपति पद के चुनाव में वह सातवें पायदान पर रहे। बाद में वह पुतिन के जबरदस्त आलोचक बन गए।